Thursday, September 28, 2017

रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी पद पर अचानक से गुलाम वहनवती की नियुक्ति करवा कर, जोन 4 तथा जोन 6 ए में हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को प्रभावित करने के साथ साथ इंडिया के प्रमुख रोटरी नेताओं को असहाय बना देने का, केआर रवींद्रन ने मास्टरस्ट्रोक चला है क्या ?

मुंबई । गुलाम वहनवती को अचानक से रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बनाए जाने की घोषणा ने जोन 4 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई के अंतिम चरण को रोमांचक बना दिया है । उल्लेखनीय है कि नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले तक के चरण में गुलाम वहनवती दूसरे नंबर पर रहे थे और भरत पांड्या से मामूली अंतर से ही वह पिछड़े थे । उम्मीद की जा रही थी कि नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा अधिकृत उम्मीदवार के रूप में चुने गए भरत पांड्या को वह चेलैंज करेंगे और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए होने वाले फाइनल मुकाबले में वह भरत पांड्या को तगड़ी टक्कर देंगे । भरत पांड्या के समर्थकों की तरफ से हालाँकि यह दावा भी किया/सुना जा रहा था कि गुलाम वहनवती को चेलैंज न करने के लिए अंततः राजी कर लिया जायेगा, और गुलाम वहनवती किसी के उकसावे में आकर भरत पांड्या के लिए मुसीबत नहीं बनेंगे । भरत पांड्या के कुछेक नजदीकियों को लेकिन यह डर जरूर रहा कि गुलाम वहनवती भले ही भरत पांड्या की अधिकृत उम्मीदवारी को चेलैंज न करें, लेकिन चेलैंज करने वाले उम्मीदवार का उन्होंने यदि समर्थन किया - तो भरत पांड्या के लिए फाइनल मुकाबला मुसीबत भरा हो सकता है । गुलाम वहनवती के रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी नियुक्त होने से लेकिन भरत पांड्या के लिए उनकी तरफ से मिल सकने वाली चुनौती पूरी तरह खत्म हो गयी लगती है ।
गुलाम वहनवती की चुनौती खत्म होने - या 'करने' - से भरत पांड्या के लिए दूसरी तरह की मुसीबतें पैदा हो गईं हैं । दरअसल गुलाम वहनवती के रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बनने से शेखर मेहता, यशपाल दास और पीटी प्रभाकर को जो जोर का झटका लगा है - उससे देश में रोटरी की राजनीति की खेमेबाजी के समीकरण को पूरी तरह से उलट-पलट दिया है । उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी पद पर शेखर मेहता, यशपाल दास और पीटी प्रभाकर की निगाह थी और तीनों ही अपने अपने तरीके से ट्रस्टी पद पर काबिज होने के लिए जुगाड़ बैठा रहे थे - और इनमें भी शेखर मेहता का दाँव बाकी दोनों से ऊँचा माना/पहचाना जा रहा था । माना/पहचाना जा रहा था कि पीटी प्रभाकर और यशपाल दास की दाल तो पूर्व प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन नहीं गलने देंगे - इसलिए शेखर मेहता के लिए ट्रस्टी पद प्राप्त करना आसान हो जाएगा । लेकिन ट्रस्टी पद पर गुलाम वहनवती की नियुक्ति ने सभी को हैरान किया है । नियुक्ति से भी ज्यादा - नियुक्ति होने में हुई जल्दबाजी ने और उसकी 'टाइमिंग' ने लोगों को ज्यादा हैरान किया है । इंडिया में रोटरी के बड़े नेताओं के बीच होने वाली चर्चा में सुना जा रहा है कि यह खेल पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन का है और इस खेल के जरिए उन्होंने वास्तव में इंडिया की रोटरी की व्यवस्था और राजनीति पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने का दाँव चला है ।
इंडिया में रोटरी के बड़े नेताओं के बीच पिछले काफी समय से चर्चा रही है कि केआर रवींद्रन रोटरी इंटरनेशनल में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इंडिया के प्रभावी नेताओं के पर कतरने तथा ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं जो उनके लिए किसी भी तरह से चुनौती न बन सकें - ताकि इंडिया में रोटरी की व्यवस्था और राजनीति पर उनकी पकड़ मजबूत हो सके । इंडिया के रोटरी नेताओं के आपसी झगड़ों ने केआर रवींद्रन को अपने लक्ष्य तक पहुँचने में मदद भी की है । झगड़ों के फैसले करवाने के नाम पर किसी को 'गिराने' और किसी को 'उठाने' का खेल खेलते हुए केआर रवींद्रन ने इंडिया के अधिकतर नेताओं को अपना पिछलग्गू तो बना ही लिया है । जोन 4 और जोन 6 ए में हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावों में भी केआर रवींद्रन के रवैये से 'आग' लगी हुई है । जोन 6 ए में कमल सांघवी के नजदीकियों का ही आरोप है कि कमल सांघवी को अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले को विवादास्पद बनाने के प्रयासों के पीछे केआर रवींद्रन की ही शह है । कमल सांघवी के नजदीकियों का कहना है कि उनके जोन में जो तमाशा हो रहा है, उसे देख कर लगता है कि जैसे कोशिश यह हो रही है कि या तो कमल सांघवी की सफलता को बीच रास्ते में ही रोक दिया जाए - और या उन्हें केआर रवींद्रन की शरण में पहुँचा दिया जाए ।
कमल सांघवी के नजदीकी मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम के चुनाव में डाली गई अड़चनों को कमल सांघवी के मामले में दोहराया जाता देख रहे हैं । वह यह भी समझ रहे हैं कि बासकर चॉकलिंगम के मामले में केआर रवींद्रन को जो पराजय मिली थी, उससे सबक लेकर उन्होंने अब अपनी रणनीति में फेरबदल किया है - और बदली रणनीति के तहत ही कमल सांघवी को गिराने और या समर्पित होने के विकल्प दिए जा रहे हैं । समझा जा रहा है कि जोन 4 में तो केआर रवींद्रन ने और भी सफाई से 'काम' किया है - गुलाम वहनवती को रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बनवा कर केआर रवींद्रन ने एक तरफ तो भरत पांड्या का बड़ा सिरदर्द दूर किया है और इस तरह भरत पांड्या को मददगार होने का संकेत दिया है; और दूसरी तरफ शेखर मेहता व यशपाल दास को एक साथ झटका दे दिया है । भरत पांड्या और गुलाम वहनवती दूसरों के मुकाबले 'कूल' टाइप के व्यक्ति भी हैं और किसी भी तरह की खेमेबाजी के कोई बहुत मजबूत 'खंबे' भी नहीं हैं - इसलिए इन्हें केआर रवींद्रन इंडिया में अपने लिए किसी चुनौती की तरह नहीं देखते हैं । जोन 4 में अशोक गुप्ता और रंजन ढींगरा को चैलेंजिंग उम्मीदवार के रूप में देखा/समझा जा रहा है - हालाँकि इनकी तरफ से फैसले का इंतजार अभी किया ही जा रहा है । इन दोनों को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है । समझा जा रहा है कि भरत पांड्या की अधिकृत उम्मीदवारी चेलैंज हो या न हो, और यदि हो तो किसकी तरफ से हो - इस बारे में अंतिम फैसला सुशील गुप्ता को ही करना है । गुलाम वहनवती को अचानक और अप्रत्याशित रूप से रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बनवा कर केआर रवींद्रन ने जो 'सीन' बनाया है, उससे सुशील गुप्ता के सामने मुश्किल तो पैदा हुई है - लेकिन वह यदि 'लड़ने' का फैसला करें तो इस मुश्किल में एक मौका भी छिपा है । देखना दिलचस्प होगा कि जोन 4 और जोन 6 ए में हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में केआर रवींद्रन द्वारा खेली जा रही चाल को मात देने के लिए इंडिया के रोटरी नेता सचमुच कोई योजना बना पाते हैं - या केआर रवींद्रन के सामने असहाय से साबित होते हैं ।