Thursday, September 14, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में कभी सक्रिय न दिखे विपिन शर्मा ने अचानक से उम्मीदवारी प्रस्तुत करके डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के तापमान को बढ़ाया

नई दिल्ली । विपिन शर्मा को फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बना कर सुरेश बिंदल और नरेश गुप्ता की जोड़ी ने राजीव अग्रवाल और ओंकार सिंह रेनु के सामने गंभीर चुनौती पैदा करते हुए डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है । इनमें भी ओंकार सिंह रेनु के लिए मामला ज्यादा संगीन हो गया है - क्योंकि अपने क्लब के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन समारोह में उन्होंने सुरेश बिंदल को तवज्जो दे/दिलवा कर अपनी उम्मीदवारी के लिए माहौल बनाने की जो तैयारी की थी, सुरेश बिंदल ने उसी दिन विपिन शर्मा की उम्मीदवारी घोषित करके उनकी सारी तैयारी पर पानी फेर दिया है । ओंकार सिंह रेनु ने अपने नजदीकियों के बीच रोना भी रोया कि सुरेश बिंदल के चक्कर में उन्होंने दिल्ली के कई पूर्व गवर्नर्स को नाराज भी किया, जिसके चलते चुनावी राजनीति में महत्त्व रखने वाले दिल्ली के चार पूर्व गवर्नर्स ने उनके क्लब के कार्यक्रम का बहिष्कार भी किया - लेकिन सुरेश बिंदल ने भी उन्हें धोखा दे दिया, जिसके बाद वह 'न घर के रहे हैं और न घाट के' । राजीव अग्रवाल के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि जिस क्षेत्र विशेष को अपने समर्थक-आधार के रूप में दिखा/बता कर वह अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट कर रहे थे, उस क्षेत्र विशेष से ही विपिन शर्मा के भी चुनावी मैदान में कूद पड़ने से उनका 'आधार-क्षेत्र' कमजोर पड़ गया है ।
फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को लेकर डिस्ट्रिक्ट में जो गहमागहमी चल रही है, उसमें विपिन शर्मा की उम्मीदवारी के प्रवेश से लेकिन जो राजनीतिक समीकरण बना है - उसने राजीव अग्रवाल के लिए राजनीतिक अनुकूलता भी बनाई है । दरअसल दिल्ली में चुनावी नजरिए से पूर्व गवर्नर्स का जो ताकतवर खेमा है, उसके रवैये से लगता है कि वह न तो ओंकार सिंह रेनु की उम्मीदवारी को समर्थन देगा और न विपिन शर्मा की उम्मीदवारी के समर्थन में खड़ा होगा; ऐसे में राजीव अग्रवाल के सामने मौका है कि वह उक्त खेमे का समर्थन प्राप्त कर लें । राजीव अग्रवाल ने उक्त खेमे के नेताओं का समर्थन जुटाने के प्रयास तो किए हैं, लेकिन हाँ या न में उन्हें कोई साफ जबाव अभी नहीं मिला है । उक्त खेमे के नेता असल में राजीव अग्रवाल में उस मैच्योरिटी का अभाव पा/देख रहे हैं, जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए उन्हें जरूरी लगती है - इसलिए वह राजीव अग्रवाल को 'हाँ' नहीं कह पा रहे हैं, और 'न' इसलिए नहीं कह रहे हैं कि कहीं उन्हें कोई मैच्योर उम्मीदवार यदि नहीं मिला - तो फिर उन्हें राजीव अग्रवाल की उम्मीदवारी का ही झंडा उठाना पड़ेगा । आरके शाह इस खेमे का समर्थन प्राप्त कर पाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें समर्थन देने के मामले में खेमे के नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पा रही है । इसीलिए राजीव अग्रवाल के सामने चुनौती के साथ-साथ उम्मीद की किरण भी है ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री पिछले दो वर्षों से नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में है और उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष अगले लायन वर्ष से उसका डिस्ट्रिक्ट स्टेटस बहाल होने की घोषणा हो जाएगी । चर्चा है कि अगले वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की नियुक्ति तो लायंस इंटरनेशनल कार्यालय करेगा, और फर्स्ट व सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए इस वर्ष चुनाव हो जायेगा । ओंकार सिंह रेनु पिछले कुछ वर्षों से डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में काफी सक्रिय हैं और विभिन्न मंचों पर उन्होंने प्रभावी सक्रियता और संलग्नता दिखाई है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में नकारात्मक सोच रखने वाले नेताओं के साथ निकटता के चलते उन्हें वह मुकाम हासिल नहीं हो सका है - जिसके कि वास्तव में वह हकदार हैं । राजीव अग्रवाल ने पिछले कुछ समय में अपने आप को सक्रिय किया है और उन्होंने हर किसी की गुडबुक में शामिल होने का प्रयास किया है; अभी तक पक्के तौर पर तो वह किसी की गुडबुक में 'दर्ज' नहीं हो पाए हैं, लेकिन चुनावी नजरिए से दिल्ली में पूर्व गवर्नर्स का जो खेमा है - वह उन्हें एक विकल्प के रूप में जरूर देखने लगा है । विपिन शर्मा की अचानक प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने सभी को चौंकाया है । यूँ तो इस वर्ष वह रीजन चेयरमैन हैं, लेकिन एक लायन सदस्य के रूप में उन्हें कभी सक्रिय नहीं देखा गया है और डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर लोग उन्हें पहचानते भी नहीं हैं । फिर भी अचानक से प्रस्तुत हुई उनकी उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के तापमान को बढ़ा तो दिया ही है ।