Thursday, September 7, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में रवि चौधरी का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना, बंदर के हाथ में उस्तरा आ जाने जैसा मामला है क्या - जहाँकि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तक को अपनी 'नाक' बचाना मुश्किल हो रहा हो

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी की एक बेवकूफीभरी लापरवाही ने एक नॉन-इश्यू को इश्यू बना दिया है; और रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी के पूर्व प्रेसीडेंट राजेश गुप्ता, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तक के लिए खासी मुसीबत खड़ी कर दी है । मामला रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी को मिली एक करीब सवा चार करोड़ रुपए की मैचिंग ग्रांट से जुड़े प्रोजेक्ट का है, जो लगातार विवाद तथा संदेह के घेरे में रहा है - जिस कारण रोटरी इंटरनेशनल को इस ग्रांट का तीन बार ऑडिट करवाना पड़ा है । इस ग्रांट से जुड़े विवाद में चूँकि सुशील गुप्ता को भी तरह तरह से लपेटा गया, इसलिए तीसरी बार का ऑडिट तो उनकी सिफारिश और कोशिश से ही हुआ । ग्रांट से जुड़े पदाधिकारियों को इस बात से बड़ी राहत मिली कि ग्रांट के इस्तेमाल में एक नए पैसे की भी चोरी या बेईमानी नहीं पकड़ी गई, और बात सिर्फ कुछेक व्यवस्था संबंधी अनिमितताओं तक ही सीमित रही । जाहिर है कि मामले का पटापेक्ष हो ही रहा था । लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी की एक मामूली सी बेवकूफीभरी लापरवाही ने मामले को फिर से भड़का दिया और ग्रांट से जुड़े लोगों को मिल रही राहत को फिर से छीन लिया है ।
हुआ दरअसल यह कि उक्त ग्रांट से जुड़ी तीसरी ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के साथ कुछ सवाल और सुझाव देते हुए एक पत्र रोटरी इंटरनेशनल से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय को मिला । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने बिना पूरा पढ़े और समझे उस पत्र को रोटरी क्लब फरीदाबाद सेंट्रल के पदाधिकारियों को भेज दिया । दरअसल रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी द्वारा 'जन्मी' उस ग्रांट से जुड़े प्रोजेक्ट को पालने-पोसने की जिम्मेदारी रोटरी क्लब फरीदाबाद सेंट्रल को मिली हुई है । फरीदाबाद सेंट्रल के मौजूदा पदाधिकारी पहले तो रोटरी इंटरनेशनल का पत्र देख कर चकराए, तिस पर रवि चौधरी के रवैये ने उन्हें भड़काया । रवि चौधरी ने गवर्नर वाले 'तेवर' दिखाते हुए फरीदाबाद सेंट्रल के पदाधिकारियों को यह कहते हुए धमकाया कि तुम लोग ग्रांट के नाम पर पता नहीं क्या क्या बेईमानियाँ करते हो, और रोटरी इंटरनेशनल मुझसे सवाल पूछता है । रवि चौधरी के इस रवैये से फरीदाबाद सेंट्रल के मौजूदा और पिछले पदाधिकारी भड़क गए । उन्होंने लोगों के बीच रोना रोया कि इस प्रोजेक्ट में पता नहीं क्या गड़बड़झाला है कि रोटरी इंटरनेशनल उनसे ऐसी पूछताछ करता है, जैसी अपराधियों से की जाती है । यह रोना उन्होंने चूँकि डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों के बीच रोया, तो फिर बात तो फैलनी ही थी और इस ग्रांट-प्रोजेक्ट से जुड़े 'बड़े' लोगों को निशाने पर आना ही था ।
बड़े लोगों ने ही मामले में नए सिरे से पैदा हुए झमेले का ठीकरा रवि चौधरी के सिर फोड़ा है । उनका कहना है कि रवि चौधरी की बेवकूफीभरी लापरवाही से बात का बतंगड़ बन गया है । इस तरह एक बार फिर साबित हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारियाँ क्या होती हैं और उन्हें किस होशियारी से निभाना होता है, यह जानने/समझने में रवि चौधरी पूरी तरह विफल रहे हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्होंने सिर्फ लोगों पर रौब जमाना और कार्यक्रमों में फूहड़ प्रदर्शन करना ही जाना/सीखा है । इसीलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी की कारस्तानियाँ आम रोटेरियंस और क्लब्स के प्रेसीडेंट्स के लिए ही मुसीबतभरी और अपमानजनक साबित नहीं हो रही हैं, बल्कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता जैसे बड़े लोगों के लिए भी फजीहत का कारण बन रही हैं ।
रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी के पूर्व प्रेसीडेंट राजेश गुप्ता के ऑर्च क्लम्प सोसायटी के सदस्य बनने के 'ऐवज' में मिली बताई गई संदर्भित ग्रांट के मामले में झोलझाल तो हालाँकि रहा है, लेकिन उक्त ग्रांट से जुड़े लोग झोलझाल पर मिट्टी डाल कर उसे दबा देने में सफल रहे थे - रवि चौधरी की लापरवाही ने किंतु उस मिट्टी को हटा देने का काम किया है । यह मामला दरअसल शुरू से ही विवाद और आरोपों के घेरे में रहा है - राजेश गुप्ता ने जिस तरह से एक हाथ से ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता के लिए करीब पौने दो करोड़ रुपए दिए और दूसरे हाथ से 'अपने' एक अस्पताल के लिए रोटरी से करीब सवा चार करोड़ रुपए झटक लिए, उसके चलते यह मामला खासा संदेहास्पद रहा । राजेश गुप्ता के लिए फजीहत की बात यह रही कि वह अपने प्रेसीडेंट-वर्ष के बाद अपने ही क्लब के प्रेसीडेंट अमर कुंडलिया को ग्रांट और उसके उपयोग में कोई झोलझाल न होने का विश्वास दिलाने में असफल रहे, जिस कारण राजेश गुप्ता को उक्त प्रोजेक्ट अपने क्लब से निकाल कर रोटरी क्लब फरीदाबाद सेंट्रल में ले जाना पड़ा । राजेश गुप्ता की इससे भी ज्यादा फजीहत तब हुई, जब रोटरी इंटरनेशनल द्वारा नियुक्त किए गए ऑडीटर ने इस बात पर आपत्ति जताई कि उक्त प्रोजेक्ट जब रोटरी क्लब फरीदाबाद सेंट्रल का है - तब राजेश गुप्ता ग्रांट के हिसाब/किताब के रखवाले आखिर क्यों बने हुए हैं, और उसके बाद राजेश गुप्ता को ग्रांट के प्रबंधन की जिम्मेदारी से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
इस ग्रांट-प्रोजेक्ट से जुड़े पदाधिकारियों के इस दावे पर यदि यकीन कर भी लिया जाए कि इसमें एक नए पैसे की भी हेराफेरी नहीं हुई है, तब भी यह सवाल तो बना ही रहता है कि राजेश गुप्ता अपने ही क्लब के अध्यक्ष अमर कुंडलिया को ग्रांट-प्रोजेक्ट में ईमानदारी से काम होने का भरोसा आखिर क्यों नहीं दिला पाए और क्यों यह ग्रांट-प्रोजेक्ट रोटरी क्लब रोटरी क्लब फरीदाबाद सेंट्रल को देना पड़ा, और वहाँ भी वह ग्रांट-प्रोजेक्ट के हिसाब-किताब से क्यों जुड़े रहे ? दरअसल इस तरह की बातों ने ही इस ग्रांट-प्रोजेक्ट को विवाद और आरोपों के घेरे में बनाए रखा । इस ग्रांट-प्रोजेक्ट से तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में चूँकि विनोद बंसल और डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख होने के नाते सुशील गुप्ता का नाम भी जुड़ा रहा है, इसलिए विवाद में इनका नाम घसीटने के भी प्रयास हुए । समय बीतने के साथ-साथ विवाद के कारण लेकिन काफी हद तक दफ़्न होते गए थे और मामला पूरी तरह लगभग सेटल हो गया था । जो थोड़ा बहुत झाम/झमेला था भी, वह ग्रांट-प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों और रोटरी इंटरनेशनल के बीच ही सिमट कर रह गया था - जिसके चलते विवाद व आरोपों की जद में आने वाले लोगों ने भी चैन की साँस ले ली थी । किंतु रवि चौधरी की लापरवाही और बेवकूफाना हरकत ने सारे मामले को फिर से खोल कर विवाद और आरोपों को नए सिरे से हवा दे दी है । मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल से आए पत्र को रवि चौधरी यदि पढ़ लेते और समझ लेते तथा मामले से जुड़े लोगों से उस पर बात कर लेते - और यदि इतना नहीं, तो कम से कम फरीदाबाद सेंट्रल के पदाधिकारियों को अपनी चौधराहट दिखाए बिना ही पत्र सौंप देते तो इतना बड़ा बबाल न होता । लोगों का कहना है कि रवि चौधरी के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी कुछ ऐसी है, जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा आ गया हो - और वह किसी की भी हजामत बना देने के लिए हमेशा तैयार रहता हो ।