Tuesday, September 5, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में सुशील अग्रवाल की सरपरस्ती में हुए जेपी सिंह के अपमान के घाव पर एपी सिंह के रवैये ने मरहम लगाने का काम किया

नई दिल्ली । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल की सरपरस्ती में नियमों का उल्लंघन करते हुए मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में पदों की बंदरबाँट में हुई हेकड़ी की एक दूसरे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर एपी सिंह ने जैसी हवा निकाली है, उससे सुशील अग्रवाल और उनके साथ लगे लग्गे-भग्गे हैरान/परेशान हैं और मनमसोसे हुए हैं । इस सारे किस्से में फजीहत का शिकार बने हैं बेचारे गुरचरण घई; और खुश होने का मौका मिला है इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी जेपी सिंह को ! अभी हाल ही में आगरा में संपन्न हुई मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की मौजूदा वर्ष की पहली मीटिंग में बेइज्जती का शिकार बन कर लौटे जेपी सिंह को यह सुन/जान कर बड़ी राहत मिली कि एपी सिंह ने अपने एक स्ट्रोक से ही सुशील अग्रवाल और उनकी सरपरस्ती में जुटे लोगों को उनकी 'औकात' दिखा दी है । मामला 14 अक्टूबर को दिल्ली में होने जा रहे ऑल इंडिया साईट फर्स्ट कॉन्क्लेब का है, जिसकी तैयारी में मुख्य और केंद्रीय भूमिका निभाते हुए एपी सिंह ने मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट विजन चेयरपरसन के रूप में गुरचरण घई को तवज्जो देना तो दूर रिकॉगनाइज तक करने से इंकार किया हुआ है ।
दिल्ली में होने वाले साईट फर्स्ट कॉनक्लेब की तैयारी के लिए एपी सिंह दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के पूर्व गवर्नर दीपक तलवार पर निर्भर हैं । यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट विजन चेयरपरसन का पद नियमानुसार तीन वर्ष के लिए दीपक तलवार के पास ही था, और नियमानुसार इस वर्ष भी उन्हें ही इस पद पर रहना था । लेकिन हमेशा नियमों की बात और वकालत करते रहने वाले सुशील अग्रवाल ने नियमों को धता बताते हुए दीपक तलवार की जगह गुरचरण घई को इस पद पर बैठवा दिया । गुरचरण घई को पद रूपी झुनझुना तो मिल गया है, लेकिन उसे बजाने का उन्हें कोई मौका नहीं मिल रहा है । मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारी ही उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, और इस चक्कर में डिस्ट्रिक्ट्स के विजन चेयरपर्सन्स के नाम उन्हें नहीं मिल पा रहे हैं । इससे भी बड़ी चोट उन्हें लेकिन एपी सिंह की तरफ से मिली है । उन्होंने खुद ही लोगों को बताया है कि दिल्ली में होने वाले साईट फर्स्ट कॉन्क्लेब के मुखिया एपी सिंह को मेल लिख कर उन्होंने बताया कि दिल्ली में साईट फर्स्ट से जुड़े कामकाज को देखने की जिम्मेदारी उन्हें मिली है, इसलिए कॉन्क्लेब से संबंधित किसी भी जिम्मेदारी को निभाने के लिए उन्हें कहा/बताया जाए । गुरचरण घई लेकिन यह देख कर हैरान/परेशान हो उठे कि एपी सिंह ने उनकी मेल का जबाव तक नहीं दिया, और कॉन्क्लेब के काम के लिए वह दीपक तलवार से ही संपर्क कर रहे हैं । गुरचरण घई ने दीपक तलवार से भी बात की और उन्हें कहा कि ऑल इंडिया साईट फर्स्ट कॉन्क्लेब के काम अब आपको नहीं, बल्कि मुझे करने हैं । दीपक तलवार ने उन्हें टका-सा जबाव दे दिया कि यह बात मुझसे नहीं, बल्कि एपी सिंह से कहो ।
एपी सिंह और दीपक तलवार के इस रवैये की शिकायत गुरचरण सिंह ने सुशील अग्रवाल से की और मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के अन्य पदाधिकारियों के बीच भी रखी - मल्टीपल के बड़बोले और बद्तमीज किस्म के सदस्यों की तरफ से सुझाव भी आया कि एपी सिंह को बता देना चाहिए कि उनके रवैये के चलते दिल्ली में उक्त कॉन्क्लेब नहीं होने दिया जायेगा । सुशील अग्रवाल लेकिन इस मामले में चुप ही रहे और उनकी तरफ से यही सुझाव सुनने को मिला कि जैसे चल रहा है, वैसे ही चलने दो - अन्यथा और ज्यादा फजीहत होगी । सुशील अग्रवाल ने मल्टीपल काउंसिल के पदाधिकारियों की जैसी जो 'बारात' तैयार की/करवाई है, जिसमें लायंस इंटरनेशनल के पैसों को हड़प जाने वाले चोट्टे के रूप में पहचाने जाने वाले तक को शामिल कर लिया गया है - उसके कारण वैसे ही मल्टीपल के लोगों के साथ-साथ बड़े लायन लीडर्स के बीच भी सुशील अग्रवाल की खासी फजीहत हो रही है । वीएस कुकरेजा जिस तरह से एरिया लीडर के पद पर रहने के बाद मल्टीपल लीडर बनने को राजी हो गए, उससे उन्होंने यही साबित किया है कि वह पद के कितने बड़े लालची हैं; उनके लालच को पूरा करने/करवाने में भूमिका निभाने के चलते भी सुशील अग्रवाल को निशाना बनना पड़ रहा है । उल्लेखनीय है कि मल्टीपल जीएलटी कोऑर्डीनेटर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के पूर्व गवर्नर अरुण पुरी के नाम पर सहमति बनी थी । अरुण पुरी फैकल्टी डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित वरिष्ठ और अनुभवी फैकल्टी हैं, और इसी कारण से उक्त पद के लिए उनके चयन को सभी का समर्थन था - लेकिन ऐन मौके पर वीएस कुकरेजा का पद का लालच हावी हो गया और सुशील अग्रवाल ने भी वीएस कुकरेजा के लालच के सामने समर्पण कर दिया ।
सुशील अग्रवाल ने चोट्टे, पदों के लालची और नाकारा लोगों की बारात तो तैयार कर/करवा दी; लेकिन अब एपी सिंह के एक स्ट्रोक से बारातियों की फजीहत हो रही है - तो वह मुँह छिपा रहे हैं । गुरचरण घई के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि न तो एपी सिंह उन्हें रिकॉगनाइज कर रहे हैं, और उन्हें रिकॉग्नीशन दिलवाने के लिए न सुशील अग्रवाल कोई प्रयत्न कर रहे हैं । नियमों की अनदेखी करके बड़बोले और बद्तमीज और बेईमान लोगों को लेकर मनमाने तरीके से बनाई गई मल्टीपल पदाधिकारियों की टीम की इस फजीहत और बेचारगी को देख कर जेपी सिंह को बड़ी राहत मिली है । उल्लेखनीय है कि जेपी सिंह को आगरा में हुई मल्टीपल की मीटिंग में दोहरी फजीहत का शिकार होना पड़ा था - सुशील अग्रवाल की सलाहानुसार हो रही मीटिंग में जेपी सिंह को मंच पर जगह न देकर मल्टीपल के सत्ताधारियों ने तो उन्हें बेइज्जत किया ही, केएम गोयल और जगदीश गुलाटी जैसे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स तक ने जेपी सिंह को इज्जत दिलवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया । ऐसे में, एपी सिंह का रवैया जेपी सिंह को अपने घाव पर मरहम लगाता हुआ महसूस हो रहा है ।