Wednesday, September 6, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में चुनाव पर लगी अदालती रोक ने दीपक जैन की चुनाव जीतने की व्यूह रचना को छिन्न भिन्न कर दिया, और श्रीहरी गुप्ता के समर्थकों को राहत दी

मेरठ । अदालती आदेश के कारण वर्ष 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हो रहे चुनाव पर लगी रोक ने दीपक जैन और उनके समर्थकों को निराश किया है, जबकि श्रीहरी गुप्ता और उनके समर्थकों ने राहत की साँस ली है । उल्लेखनीय है कि आज सुबह सुबह चुनावी माहौल में उस समय खासी गर्मी पैदा हो गई थी जब डिस्ट्रिक्ट के लोगों को दीपक जैन के समर्थकों की तरफ से सुनने को मिला कि उन्होंने मेरठ में श्रीहरी गुप्ता के पक्के समझे जाने वाले छह वोटों को 'तोड़' लिया है; और श्रीहरी गुप्ता के समर्थकों की तरफ से आरोप सुना गया कि दीपक जैन पचास हजार से लेकर एक लाख रुपए तक का ऑफर देकर वोट खरीद रहे हैं । इन दावों और आरोपों को लेकर माहौल गर्मा ही रहा था कि अदालती आदेश आ गया और चुनावी प्रक्रिया जहाँ की तहाँ थम गई । वोटिंग लाइंस करीब चालीस घंटे ही खुली रह पाईं । इन करीब चालीस घंटों में कितने क्लब्स के वोट पड़े, इसकी कोई अधिकृत जानकारी तो नहीं है - लेकिन अलग अलग लोगों की चर्चाओं के अनुसार, इन करीब चालीस घंटों में कुछ ही क्लब्स के वोट पड़ सके हैं ।
क्लब्स के प्रेसीडेंट्स के वोट देने में जल्दबाजी नहीं दिखाने को चुनाव के 'बाजार में' बदल जाने के संकेत और सुबूत के रूप में देखा जा रहा है । दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में अमूमन देखा गया है कि वोटिंग लाइंस खुलने के पहले चौबीस घंटे में साठ प्रतिशत वोटिंग हो जाती है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3100 की बात खासी निराली है, और इसी निरालेपन के कारण डिस्ट्रिक्ट नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में है । उम्मीद की गई थी कि नॉन-डिस्ट्रिक्ट होने की फजीहत से डिस्ट्रिक्ट के लोग सबक लेंगे - लेकिन चुनावी गहमागहमी में हो रही चर्चाओं और लग रहे आरोपों से साफ हो गया है कि किसी ने कोई सबक नहीं सीखा है और पहले की ही तरह हरकतें लगातार जारी हैं और रोटरी इंटरनेशनल से 'सजा' तक पा चुके लोग ही पूरी बेशर्मी से अब भी अपनी हरकतों को जारी रखे हुए हैं । चुनावी बेईमानी के आरोप पर रोटरी इंटरनेशनल से 'सजा' पाए लोगों पर निर्भर होने/रहने के कारण दीपक जैन का उम्मीदवारी-अभियान लगातार चर्चा और आरोपों के घेरे में रहा, तथा उनके उम्मीदवारी-अभियान पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव को वोटों की 'खरीद-फरोख्त का बाजार' बना देने के गंभीर आरोप सुनाई दिए ।
समझा जाता है कि संभवतः इसी कारण से प्रेसीडेंट्स ने वोट देने में जल्दबाजी नहीं दिखाई; उन्होंने इंतजार करना जरूरी समझा ताकि अपने वोट की वह और बढ़ी हुई कीमत पा सकें । दीपक जैन के नजदीकियों की तरफ से वोटिंग लाइन खुलने के समय प्रति वोट पचास से साठ हजार रुपए का जो रेट सुना जा रहा था, वह 24 घंटे बाद एक लाख रुपए तक जा पहुँचा था - प्रेसीडेंट्स को उम्मीद थी कि यह रेट अभी और बढ़ेगा । अदालती फैसले के कारण चुनाव पर लगी रोक ने लेकिन उनकी उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेर दिया है । चुनाव पर लगी रोक ने दीपक जैन के समर्थकों को निराश किया है; उनकी तरफ से सुना जा रहा है कि चुनाव जीतने के लिए उन्होंने पूरी व्यूह रचना कर ली थी - और उसे सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा रहा था; लेकिन चुनाव पर लगी रोक ने उनकी सारी व्यूह रचना को छिन्न भिन्न कर दिया है । मजे की बात यह है कि चुनाव पर लगी रोक ने श्रीहरी गुप्ता के समर्थकों को खुश किया है । उनकी तरफ से सुना जा रहा है कि दीपक जैन की तरफ से उनके वोटों को छीनने/हथियाने की जिस तरह की जो कोशिश की गई, उससे निपटने की उनके पास कोई तैयारी नहीं थी - चुनाव स्थगित होने से उन्हें वह तैयारी करने का मौका मिल गया है । मेरठ के वोटों को लेकर दीपक जैन और श्रीहरी गुप्ता के बीच जो घमासान मचा है, उसे देख कर चक्रेश लोहिया के समर्थकों को अपनी राह आसान होती हुई दिखी है । दरअसल चक्रेश लोहिया के समर्थकों का मानना और कहना है कि वर्ष 2018-19 के गवर्नर पद का चुनावी मुकाबला वास्तव में चक्रेश लोहिया और श्रीहरी गुप्ता के बीच ही है; ऐसे में दीपक जैन की तरफ से श्रीहरी गुप्ता को जो नुकसान पहुँचाया जायेगा, उससे वास्तव में चक्रेश लोहिया का रास्ता आसान बनेगा । चुनाव को लेकर होने वाले तरह तरह के आकलनों के बीच, चुनाव पर लगी रोक ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को फिलहाल तो लेकिन और उलझा दिया है ।