Tuesday, September 19, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में ललित खन्ना की बढ़त को रोकने के लिए प्रेसीडेंट्स से अपने सामने वोट डलवाने की आलोक गुप्ता के समर्थक नेताओं की 'डांडिया' कार्रवाई पर इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने अपनी डंडी चलाई

गाजियाबाद । 24 सितंबर की रात गाजियाबाद के 'द मोनार्क' में आयोजित हो रही डांडिया नाइट को लेकर इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने सख्त रवैया अपनाते हुए फैसला सुनाया है कि 25 सितंबर की सुबह तक पड़े वोटों की सख्ती से स्क्रीनिंग की जाएगी और यदि कुछ भी गड़बड़ होने का संदेह पाया गया तो उन सभी वोटों को निरस्त कर दिया जाएगा । बासकर चॉकलिंगम के इस रवैये और फैसले ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में आलोक गुप्ता के लिए व्यावहारिक तथा मनोवैज्ञानिक समस्या पैदा कर दी है । दरअसल उक्त डांडिया नाइट को आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में वोटर-प्रेसीडेंट्स को 'घेरने' तथा अपनी निगरानी में उनके वोट डलवाने के जुगाड़ के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि 24 सितंबर की रात 12 बजे से ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए वोटिंग लाइन खुलनी है - चर्चा और आरोप यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल और उनके ट्रेनर मुकेश अरनेजा की योजना यह है कि क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को इस आयोजन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाए और उन्हें रात 12 बजे तक रोके रखा जाए - ताकि वोटिंग लाइन खुलते ही अपने सामने उनसे आलोक गुप्ता के पक्ष में वोट डलवाया जाए । यह चर्चा और आरोप चूँकि रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों तक पहुँच गया है, इसलिए इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने तो इसे लेकर सख्त रवैया जाहिर कर ही दिया है - इस मामले ने लेकिन आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को मिल रहे समर्थन को लेकर किए जा दावे को भी संदेहास्पद बनाने का काम किया है ।
आलोक गुप्ता के समर्थक नेताओं का दावा है कि आलोक गुप्ता को उससे भी बड़ी जीत मिलेगी, जैसी पिछले वर्ष दीपक गुप्ता को मिली थी । समर्थक नेताओं ने दावा तो कर दिया है; लेकिन लगता है कि उन्हें खुद अपने ही दावे पर भरोसा नहीं है - यदि भरोसा होता तो वह वोटों का जुगाड़ करने के लिए प्रेसीडेंट्स को अपमानित करने वाली हरकतें न करते । सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा ने कई प्रेसीडेंट्स को फोन कर कर के पहले तो पूछा कि 'आलोक गुप्ता ने जो डिजिटल फोटो फ्रेम उन्हें गिफ्ट में दिया है, वह अच्छा तो है न'; फिर बताया कि 'तुम्हें पता तो होगा ही कि यह काफी महँगा गिफ्ट है !' साथ ही इन्होंने यह भी जोड़ा कि 'देखो, अब आलोक गुप्ता को धोखा मत देना ।' प्रेसीडेंट्स ने इनकी इन बातों को अपमानजनक माना है । प्रेसीडेंट्स के लिए इससे भी ज्यादा अपमान की बात यह हो रही है कि सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा उन पर भरोसा भी नहीं कर रहे हैं और इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वह उनके या उनके द्वारा बताए गए व्यक्ति से सामने ही वोट डालें । सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा को दरअसल यह भरोसा ही नहीं हो पा रहा है कि प्रेसीडेंट्स को अच्छे से खिलवा/पिलवा देने और महँगे गिफ्ट दिलवा देने के बाद भी प्रेसीडेंट्स आलोक गुप्ता को वोट देंगे ही - इसीलिए वह चाहते हैं कि प्रेसीडेंट्स उनकी आँखों के सामने ही आलोक गुप्ता के पक्ष में वोट डालें । इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही 24 सितंबर को डांडिया नाइट का आयोजन किया गया है ।
मजे की बात यह है कि गाजियाबाद क्षेत्र के क्लब्स में आलोक गुप्ता के लिए अच्छा समर्थन बताया जा रहा है, लेकिन गाजियाबाद क्षेत्र के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स पर ही आलोक गुप्ता के समर्थक नेताओं की तरफ से सबसे ज्यादा दबाव भी बनाया जा रहा है । यह परस्पर विरोधी रवैया वास्तव में इसलिए है क्योंकि गाजियाबाद क्षेत्र के अधिकतर बड़े और प्रमुख नेता आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के खिलाफ हैं; खास बात यह भी है कि जिन नेताओं के सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा के साथ अच्छे संबंध भी हैं, वह भी आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करने को तैयार नहीं हैं । इसीलिए आलोक गुप्ता और उनके समर्थक नेताओं को डर है कि क्षेत्र के बड़े और प्रमुख नेताओं के विरोधी तेवरों को देखते हुए कहीं प्रेसीडेंट्स पर किया गया उनका 'काम' बेकार न चला जाए । गाजियाबाद क्षेत्र के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स अपने अपने क्लब के बड़े और प्रमुख नेताओं के कहने में न आ जाएँ, इसलिए आलोक गुप्ता और उनके समर्थक नेता क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को अपनी पकड़ में कस कर जकड़ लेना चाहते हैं । उन्हें विश्वास है कि डांडिया में इस्तेमाल होने वाली डंडियाँ क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को जकड़ने में काम आयेंगी । लेकिन इस पर मचे बबाल ने इनके सामने दोतरफा मुसीबत भी खड़ी कर दी है ।
गाजियाबाद क्षेत्र के क्लब्स के वोटों को अपनी तरफ करने के लिए आलोक गुप्ता और उनके समर्थक नेता यदि कोई कसर नहीं छोड़े रखना चाहते हैं और इसके लिए हर छोटा/बड़ा और अच्छा/बुरा प्रयास कर रहे हैं तो इसलिए क्योंकि उन्हें भी पता है कि बाकी क्षेत्रों में उनकी स्थिति ललित खन्ना से बहुत ही खराब है । हाल-फिलहाल के दिनों में दोनों ही तरफ से जो मीटिंग्स व पार्टियाँ हुई हैं, उनमें अधिकतर में ललित खन्ना के यहाँ ज्यादा लोग जुटे देखे/पाए गए हैं - इसलिए भी आलोक गुप्ता और उनके समर्थक नेताओं को अपने वोटों की निगरानी व चौकीदारी करने की जरूरत आ पड़ी है । आलोक गुप्ता और ललित खन्ना के बीच हो रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के गणित में दिलचस्पी रखने वाले जिन लोगों ने वोटों का क्षेत्रवार विश्लेषण किया है, उन्होंने पाया है कि कुल करीब 160 वोटों में 82 से 86 वोट तो ललित खन्ना के पक्ष में और 38 से 44 वोट आलोक गुप्ता के पक्ष में पक्के माने/समझे जा रहे हैं; जबकि 35 से 40 वोटों के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सका है ।
क्षेत्रवार हिसाब में आलोक गुप्ता की बढ़त गाजियाबाद में तो देखी/पहचानी जा रही है, लेकिन बाकी क्षेत्रों में वह ललित खन्ना से पिछड़ते हुए ही दिख रहे हैं । दिल्ली के करीब 56 वोटों में ललित खन्ना को 37 से 40; नोएडा के 9 वोटों में 5 से 6; सोनीपत के 20 वोटों में 9 से 12; हापुड़ के 20 वोटों में 11 से 12; और गाजियाबाद के 58 वोटों में 16 से 19 वोट ललित खन्ना को मिलने का अनुमान लगाया गया है । आलोक गुप्ता के समर्थक नेता भी अंदरखाने इस अनुमान को सच मान रहे हैं और इसलिए ही उनका सारा ध्यान उन प्रेसीडेंट्स पर है जिनका रवैया अभी तक भी साफ नहीं है; इसके साथ ही गाजियाबाद के अपने वोटों को अपने साथ बनाए रखने के लिए भी उन्हें जूझना पड़ रहा है । पक्के पक्के समझे जाने वाले वोटों की गिनती में ललित खन्ना से पिछड़ने के तथ्य को पहचानते हुए, आलोक गुप्ता के समर्थक नेताओं ने डांडिया नाइट के जरिए आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को मुकाबले में लाने की जो तैयारी की है, उस पर डंडी चला कर इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम ने लेकिन उनके लिए मुसीबत बढ़ा और दी है ।