Saturday, September 9, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में 'सभी कुछ' विनोद खन्ना को ही सौंप देने की नरेश अग्रवाल की कार्रवाई से खुद को ठगा पा रहे सुशील अग्रवाल ने बदला लेने के लिए नरेश अग्रवाल के फैसले के खिलाफ कार्रवाई की है क्या ?

नई दिल्ली । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल ने पिछले ही दिनों आगरा में संपन्न हुई मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में प्रत्येक लायन सदस्य से अतिरिक्त सौ रूपए बसूलने के फैसले को निरस्त करने की जो 'कार्रवाई' की, उसे उनकी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल को राजनीतिक रूप से 'ब्लैकमेल' करने की तिकड़म के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त सौ रुपए बसूलने के फैसले को पिछले लायन वर्ष की वार्षिक मीटिंग में खुद नरेश अग्रवाल ने पास करवाया था । इसके लिए नरेश अग्रवाल ने दिल्ली में वर्ष 2022 में होने वाली इंटरनेशनल कन्वेंशन के लिए खर्च जुटाने का वास्ता दिया था । मजे की बात यह है कि नरेश अग्रवाल जब मीटिंग में उक्त प्रस्ताव पास करवा रहे थे, तब सुशील अग्रवाल भी मौके पर मौजूद थे - और तब उन्होंने नरेश अग्रवाल के प्रस्ताव तथा प्रस्ताव को पास करवाने के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया पर कोई आपत्ति नहीं की थी । किंतु तीन महीने बाद सुशील अग्रवाल को समझ में आया कि उक्त प्रस्ताव को पास करवाने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, इसलिए उक्त प्रस्ताव को पास हुआ नहीं माना जा सकता है । मजे की और ज्यादा बात यह भी है कि मल्टीपल काउंसिल के जिन मौजूदा पदाधिकारियों ने सुशील अग्रवाल के 'दावे' पर तालियाँ बजाईं, उन लोगों ने नरेश अग्रवाल के प्रस्ताव पर भी तालियाँ बजाईं थीं - यानि फैसला चाहें 'ऐसा' हो या 'वैसा' हो, उनका काम सिर्फ ताली बजाना ही है ।
मल्टीपल काउंसिल के चेयरमैन विनय गर्ग तथा अन्य पदाधिकारियों के रवैये में दिलचस्प बात यह भी है कि उन्होंने नरेश अग्रवाल द्वारा पास करवाए गए प्रस्ताव के अनुसार, प्रति सदस्य अतिरिक्त सौ रुपए के हिसाब से बिल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को भेज दिए हैं - जिसे लेकिन उन्होंने सुशील अग्रवाल के दावे के बाद भी वापस लेने की घोषणा नहीं की है । इससे यही समझा जा रहा है कि विनय गर्ग तथा मल्टीपल काउंसिल के अन्य पदाधिकारी भी मान/समझ रहे हैं कि सुशील अग्रवाल ने नरेश अग्रवाल द्वारा पास करवाए गए प्रस्ताव को निरस्त करने/करवाने की जो कार्रवाई की है, वह सिर्फ गीदड़-भभकी ही है - और सुशील अग्रवाल जल्दी ही 'लाइन' पर आ जायेंगे । इसीलिए विनय गर्ग और मल्टीपल काउंसिल के अन्य पदाधिकारियों ने एक तरफ सुशील अग्रवाल के 'दावे' पर तालियाँ भी बजा दीं - और दूसरी तरफ नरेश अग्रवाल द्वारा पास करवाए गए प्रस्ताव के अनुसार अतिरिक्त सौ रुपए बसूलने के अपने प्रयास को भी उन्होंने जारी रखा हुआ है । मल्टीपल काउंसिल के चेयरमैन विनय गर्ग और मल्टीपल काउंसिल के अन्य पदाधिकारियों के इसी रवैये को देखते हुए नरेश अग्रवाल तथा उनके नजदीकियों ने सुशील अग्रवाल के 'दावे' को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं समझी है ।  
नरेश अग्रवाल द्वारा पास करवाए गए प्रस्ताव को सुशील अग्रवाल ने निरस्त करने/करवाने का जो 'काम' किया है, उसे नरेश अग्रवाल के नजदीकियों के बीच सुशील अग्रवाल की नरेश अग्रवाल पर दबाव बनाने तथा उनके प्रेसीडेंट-वर्ष में फायदा उठाने के लिए जुगाड़ लगाने - और नरेश अग्रवाल को राजनीतिक रूप से ब्लैकमेल करने की कोशिश के रूप में बल्कि और देखा/पहचाना जा रहा है । नरेश अग्रवाल के नजदीकियों का कहना है कि सुशील अग्रवाल दरअसल यह देख/जान कर बहुत ही निराश और परेशान हैं कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में नरेश अग्रवाल ने उन्हें कोई महत्त्वपूर्ण पोजीशन ही नहीं दी है । सुशील अग्रवाल ने कुछेक लोगों के बीच शिकायत भी की है कि प्रेसीडेंट बनने के लिए अभियान चलाने में नरेश अग्रवाल को जब उनकी मदद की जरूरत थी, तब तो नरेश अग्रवाल ने उनकी खुशामद करके उनकी मदद ले ली - लेकिन प्रेसीडेंट बनने पर वह उन्हें पूरी तरह भूल ही गए हैं, और विनोद खन्ना ही उनके सगे बन गए हैं । सुशील अग्रवाल इस बात पर बुरी तरह खफा हैं कि नरेश अग्रवाल ने विनोद खन्ना को ही तो डायरेक्टर एंडॉर्सी बना/बनवा दिया है, और विनोद खन्ना को ही दिल्ली कार्यालय का प्रमुख बनाने की तैयारी कर ली है । सुशील अग्रवाल ने चूँकि अपने आप को बुरी तरह ठगा हुआ महसूस किया है - इसलिए वह नरेश अग्रवाल से बदला लेने तथा उन पर दबाव बना कर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में उनसे अपने लिए कुछ 'प्राप्त' कर लेने की जुगाड़ में लगे हैं ।
आगरा में संपन्न हुई मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में, प्रत्येक लायन सदस्य से अतिरिक्त सौ रूपए बसूलने के फैसले को निरस्त करने की सुशील अग्रवाल की 'कार्रवाई' के पीछे चूँकि उनकी इसी मंशा को देखा/पहचाना जा रहा है - इसलिए ही चेयरमैन विनय गर्ग तथा मल्टीपल काउंसिल के अन्य पदाधिकारियों ने उनकी कार्रवाई को गंभीरता से नहीं लिया है; और इसीलिए ही उन्होंने अतिरिक्त सौ रुपए बसूले जाने वाले अपने बिलों को न तो वापिस लिया है और न ही संशोधित बिल भेजने की कोई जरूरत समझी है ।