फरीदाबाद
। रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के एक फैसले में लताड़ खा चुके और डिस्ट्रिक्ट के
महत्त्वपूर्ण व निर्णायक समझे जाने वाले पदों से दूर रखने की हिदायत पा
चुके पप्पूजीत सिंह सरना को अपनी टीम में डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर का पद
देकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया ने रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के
फैसले को तो सीधी चुनौती दी ही है, साथ ही वह रोटरी के बड़े नेताओं के
निशाने पर भी आ गए हैं । डिस्ट्रिक्ट के ही बड़े पदाधिकारियों और नेताओं
का भी कहना है कि पप्पूजीत सिंह सरना जैसे व्यक्ति को डिस्ट्रिक्ट का
तीसरा बड़ा महत्त्वपूर्ण पद सौंप कर विनय भाटिया ने यह दिखा/जता दिया है कि
रोटरी इंटरनेशनल के फैसलों को मानने की बजाए उनके लिए अपने निजी स्वार्थों
को तवज्जो देना ज्यादा जरूरी है । उनके नजदीकियों का हालाँकि यह भी कहना है
कि डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर के पद के लिए विनय भाटिया ने पहले अमित
जोनेजा के नाम का चयन किया था; यह बात जब पप्पूजीत सिंह सरना को पता चली
तो उन्होंने विनय भाटिया को जम कर धमकाया और उन्हें साफ चेतावनी दी कि
डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर यदि उन्हें नहीं बनाया गया, तो वह फरीदाबाद में
तो विनय भाटिया को कुछ करने नहीं देंगे - तब मजबूर होकर विनय भाटिया को
डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर का पद पप्पूजीत सिंह सरना को ही देना पड़ा;
अमित जोनेजा के लिए उन्हें डायरेक्टर कोऑर्डीनेटर का नया पद ईजाद करना पड़ा ।
लोग हालाँकि अभी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि डायरेक्टर
एडमिनिस्ट्रेटर के होते हुए डायरेक्टर कोऑर्डीनेटर को डिस्ट्रिक्ट में करने के लिए काम आखिर बचेगा क्या ?
पप्पूजीत सिंह सरना की धमकी के सामने विनय भाटिया के समर्पण कर देने के बावजूद पप्पूजीत सिंह सरना को डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर बनाए जाने का विनय भाटिया का निर्णय यदि बड़े विवाद का कारण बना है, तो इसकी वजह केआर रवींद्रन के प्रेसीडेंट-काल में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा लिया/किया गया वह निर्णय है - जिसके अनुसार पप्पूजीत सिंह सरना को आगे डिस्ट्रिक्ट में कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं देनी है । दरअसल पिछले से पिछले रोटरी वर्ष में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में विनय भाटिया को चुनाव जितवाने के लिए पप्पूजीत सिंह सरना ने इस हद तक छिछोरपंती की थी, कि उसकी दुर्गंध रोटरी इंटरनेशनल तक पहुँची थी - और रोटरी इंटरनेशनल के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ था कि बिना कोई औपचारिक शिकायत हुए रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने किसी मामले का खुद से संज्ञान लिया हो । जाँच-पड़ताल से निकाले गए निष्कर्षों के आधार पर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने नाम लेकर पप्पूजीत सिंह सरना की भूमिका की भर्त्सना की और हिदायत दी कि पप्पूजीत सिंह सरना को डिस्ट्रिक्ट में आगे कोई महत्त्वपूर्ण पद न दिया जाए । माना/समझा गया था इंटरनेशनल बोर्ड में उक्त मामला तत्कालीन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के सख्त रवैये के चलते लाया गया था - केआर रवींद्रन भूतपूर्व प्रेसीडेंट भले ही हो गए हों, लेकिन रोटरी में जो अंधेरगर्दियाँ और बेईमानियाँ होती हैं - उनसे निपटने के मामले में उनकी भूमिका अभी भी निर्णायक बनी हुई है । इसके बावजूद, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया ने पप्पूजीत सिंह सरना के मामले में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले की परवाह ही नहीं की है ।
इस मामले में डिस्ट्रिक्ट के कुछेक लोग विनोद बंसल और सुशील गुप्ता को भी घेरने/लपेटने की कोशिश कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के नाते विनोद बंसल को और डिस्ट्रिक्ट के तथा रोटरी के 'लीडर' होने के नाते सुशील गुप्ता को विनय भाटिया को बताना/समझाना चाहिए कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें रोटरी इंटरनेशनल के फैसलों की तथा उन फैसलों के पीछे की सोच व भावना का सम्मान करना चाहिए । जिन पप्पूजीत सिंह सरना की हरकतों के कारण रोटरी की दुनिया में डिस्ट्रिक्ट 3011 की न सिर्फ भारी बदनामी हुई, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के सामने अपने अस्तित्व को बचाए/बनाए रखने का खतरा तक पैदा हुआ, उन पप्पूजीत सिंह सरना को अपनी टीम में महत्त्वपूर्ण पद देकर विनय भाटिया आखिर क्या दिखाना या साबित करना चाहते हैं ? ऐसे मामलों में सुशील गुप्ता का व्यवहार बड़ा दिलचस्प हो जाता है । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता रोटरी में और बड़ी 'भूमिका' निभाने की तैयारी में हैं, और इस तैयारी के तहत वह अपनी लीडरशिप क्षमता दिखाने का प्रयास करते रहते हैं - जिसके चलते वह जब/तब सलाह, सुझाव और हिदायतें देते रहते हैं; लेकिन जब किसी मामले में वह फँसते हैं तब वह यह कहते हुए बचने की कोशिश करते हैं कि मेरा इस मामले से क्या मतलब, मेरा इसमें क्या रोल ? लोगों का कहना लेकिन यह है कि सुशील गुप्ता को जब बड़ा लीडर 'बनना' है, तो उन्हें उन मामलों का खुद से संज्ञान लेना ही चाहिए जिनमें रोटरी की बदनामी और फजीहत हो रही हो - लीडर को रोल दिया नहीं जाता है, लीडर को रोल खुद 'लेना' होता है; और मामला यदि उनके खुद के डिस्ट्रिक्ट का हो, तब तो उनकी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है ।
ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट के महत्त्वपूर्ण व निर्णायक समझे जाने वाले पदों से दूर रखने की हिदायत के साथ इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले में लताड़ खा चुके पप्पूजीत सिंह सरना को डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर बनाए जाने के विनय भाटिया के फैसले में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की अनदेखी करने का जो आरोप है, उसके घेरे से सुशील गुप्ता भी बाहर नहीं हैं । लोगों का कहना है कि सुशील गुप्ता के होते हुए विनय भाटिया रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले को मानने/अपनाने से इंकार करते हैं, तो यह सुशील गुप्ता के लिए भी तो चुनौती की और फजीहत की बात होती है ।
पप्पूजीत सिंह सरना की धमकी के सामने विनय भाटिया के समर्पण कर देने के बावजूद पप्पूजीत सिंह सरना को डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर बनाए जाने का विनय भाटिया का निर्णय यदि बड़े विवाद का कारण बना है, तो इसकी वजह केआर रवींद्रन के प्रेसीडेंट-काल में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा लिया/किया गया वह निर्णय है - जिसके अनुसार पप्पूजीत सिंह सरना को आगे डिस्ट्रिक्ट में कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं देनी है । दरअसल पिछले से पिछले रोटरी वर्ष में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में विनय भाटिया को चुनाव जितवाने के लिए पप्पूजीत सिंह सरना ने इस हद तक छिछोरपंती की थी, कि उसकी दुर्गंध रोटरी इंटरनेशनल तक पहुँची थी - और रोटरी इंटरनेशनल के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ था कि बिना कोई औपचारिक शिकायत हुए रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने किसी मामले का खुद से संज्ञान लिया हो । जाँच-पड़ताल से निकाले गए निष्कर्षों के आधार पर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने नाम लेकर पप्पूजीत सिंह सरना की भूमिका की भर्त्सना की और हिदायत दी कि पप्पूजीत सिंह सरना को डिस्ट्रिक्ट में आगे कोई महत्त्वपूर्ण पद न दिया जाए । माना/समझा गया था इंटरनेशनल बोर्ड में उक्त मामला तत्कालीन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के सख्त रवैये के चलते लाया गया था - केआर रवींद्रन भूतपूर्व प्रेसीडेंट भले ही हो गए हों, लेकिन रोटरी में जो अंधेरगर्दियाँ और बेईमानियाँ होती हैं - उनसे निपटने के मामले में उनकी भूमिका अभी भी निर्णायक बनी हुई है । इसके बावजूद, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट विनय भाटिया ने पप्पूजीत सिंह सरना के मामले में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले की परवाह ही नहीं की है ।
इस मामले में डिस्ट्रिक्ट के कुछेक लोग विनोद बंसल और सुशील गुप्ता को भी घेरने/लपेटने की कोशिश कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के नाते विनोद बंसल को और डिस्ट्रिक्ट के तथा रोटरी के 'लीडर' होने के नाते सुशील गुप्ता को विनय भाटिया को बताना/समझाना चाहिए कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्हें रोटरी इंटरनेशनल के फैसलों की तथा उन फैसलों के पीछे की सोच व भावना का सम्मान करना चाहिए । जिन पप्पूजीत सिंह सरना की हरकतों के कारण रोटरी की दुनिया में डिस्ट्रिक्ट 3011 की न सिर्फ भारी बदनामी हुई, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के सामने अपने अस्तित्व को बचाए/बनाए रखने का खतरा तक पैदा हुआ, उन पप्पूजीत सिंह सरना को अपनी टीम में महत्त्वपूर्ण पद देकर विनय भाटिया आखिर क्या दिखाना या साबित करना चाहते हैं ? ऐसे मामलों में सुशील गुप्ता का व्यवहार बड़ा दिलचस्प हो जाता है । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता रोटरी में और बड़ी 'भूमिका' निभाने की तैयारी में हैं, और इस तैयारी के तहत वह अपनी लीडरशिप क्षमता दिखाने का प्रयास करते रहते हैं - जिसके चलते वह जब/तब सलाह, सुझाव और हिदायतें देते रहते हैं; लेकिन जब किसी मामले में वह फँसते हैं तब वह यह कहते हुए बचने की कोशिश करते हैं कि मेरा इस मामले से क्या मतलब, मेरा इसमें क्या रोल ? लोगों का कहना लेकिन यह है कि सुशील गुप्ता को जब बड़ा लीडर 'बनना' है, तो उन्हें उन मामलों का खुद से संज्ञान लेना ही चाहिए जिनमें रोटरी की बदनामी और फजीहत हो रही हो - लीडर को रोल दिया नहीं जाता है, लीडर को रोल खुद 'लेना' होता है; और मामला यदि उनके खुद के डिस्ट्रिक्ट का हो, तब तो उनकी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है ।
ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट के महत्त्वपूर्ण व निर्णायक समझे जाने वाले पदों से दूर रखने की हिदायत के साथ इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले में लताड़ खा चुके पप्पूजीत सिंह सरना को डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेटर बनाए जाने के विनय भाटिया के फैसले में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की अनदेखी करने का जो आरोप है, उसके घेरे से सुशील गुप्ता भी बाहर नहीं हैं । लोगों का कहना है कि सुशील गुप्ता के होते हुए विनय भाटिया रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले को मानने/अपनाने से इंकार करते हैं, तो यह सुशील गुप्ता के लिए भी तो चुनौती की और फजीहत की बात होती है ।