कानपुर । अभिनव सिंह की उम्मीदवारी के जरिए पैसे ऐंठने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वंदना निगम की तैयारी के बीच अजय डैंग व राजीव बब्बर की सक्रियता ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा करने के संकेत दिए हैं । इन संकेतों में एक डर यह भी छिपा दिख रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह ने यदि होशियारी से काम नहीं लिया, तो सिर्फ डिस्ट्रिक्ट ही नहीं - बल्कि लायन लीडरशिप भी एक बड़ी मुसीबत में फँस जा सकती है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट के चुनावी समीकरण में जो 'रोटियाँ' सिंकती दिख रही हैं, उसमें चूँकि अजय डैंग के लिए कोई जगह बनती नहीं दिख रही है - इसलिए उनके द्वारा की गई अदालती कार्रवाई की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है और डिस्ट्रिक्ट व लायन लीडरशिप के लिए मामला अटकता/उलझता बन जाता है । असल में अजय डैंग और दीपकराज आनंद द्वारा की गई अदालती कार्रवाई में दीपकराज आनंद के साथ तो लीडरशिप ने 'सौदा' कर लिया, जिसके चलते दीपक राज आनंद ने अपने आपको अदालती कार्रवाई से अलग कर लिया - लेकिन अजय डैंग को लीडरशिप ने कोई तवज्जो नहीं दी, जिसके कारण उनकी कार्रवाई अभी खड़ी हुई है । अजय डैंग बनाम नवीन गुप्ता मामले में अदालत ने पिछले लायन वर्ष में हुए चुनाव में 'स्टेटस क्वो' का फैसला दिया हुआ है और आगे की कार्रवाई पर रोक लगाई हुई है; ऐसे में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाला चुनाव अधर में है । नवीन गुप्ता ने अपने आपको फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार घोषित करके अजय डैंग और उनके साथियों/समर्थकों को भड़का और दिया है । अजय डैंग के तेवर देख कर अंदाजा लग रहा है कि लीडरशिप ने उनके साथ यदि कोई सम्मानजनक समझौता नहीं किया, तो वह अदालती कार्रवाई के जरिये नाक में दम करने का काम तो करेंगे ही ।
इसी स्थिति में इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है । डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ नेता लोग जेपी सिंह के अभी तक के रवैये से तो असंतुष्ट हैं । उनका कहना है कि जेपी सिंह ने डिस्ट्रिक्ट के नाजुक बने हालात को ठीक से समझने की ही कोशिश नहीं की है; और पूरी तरह पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना के भरोसे ही रहे हैं - जो डिस्ट्रिक्ट के हालात को बद से बदतर बनाने के लिए जिम्मेदार हैं । डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ नेताओं का कहना/बताना है कि जेपी सिंह ने यदि अपनी लीडरशिप क्वालिटी नहीं इस्तेमाल की और विनोद खन्ना जैसे ही रंग-ढंग दिखाए - तो डिस्ट्रिक्ट में हालात सामान्य बनाना मुश्किल ही होगा । हालात सामान्य बनाने में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वंदना निगम का रवैया भी एक बड़ी बाधा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वंदना निगम का अभी तक का समय तो सिर्फ स्यापा करने, दूसरों को उपेक्षित व अपमानित करने में ही बीता है; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वंदना निगम की बस एक ही 'उपलब्धि' रही है - और वह यह कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स डीपी सिंह व किरन सिंह के बेटे अभिनव सिंह उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में मिल गए हैं, जिनसे पैसे ऐंठना उन्होंने शुरू कर दिया है । डिस्ट्रिक्ट में आरोपपूर्ण चर्चा है कि वंदना निगम ने तीसरी कैबिनेट मीटिंग तो सिंह दंपति को 'बेच' ही दी; और अब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस भी उन्हें 'बेचने' के लिए सौदेबाजी कर रही हैं । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए प्रस्तुत की जा रही राजीव बब्बर की उम्मीदवारी के चलते बनते दबाव के कारण वंदना निगम को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के लिए अच्छे 'दाम' मिलने की उम्मीद बँधी है ।
राजीव बब्बर ने अभी हाल ही में कानपुर का दौरा करके कानपुर के बड़े और प्रमुख क्लब्स का समर्थन जुटाने का प्रयास किया है; उनके कानपुर दौरे से ठीक पहले डीपी सिंह भी कानपुर आ कर कुछेक बड़े नेताओं से मिले हैं और उन्होंने अभिनव सिंह के लिए माहौल बनाने का काम किया है । राजीव बब्बर के पिता पीसी बब्बर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, लेकिन राजीव बब्बर अपनी 'लड़ाई' खुद लड़ते दिख रहे हैं, जबकि अभिनव सिंह की तरफ से उनके पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पिता डीपी सिंह मोर्चा संभाले नजर आ रहे हैं - इससे राजीव बब्बर की तुलना में अभिनव सिंह का पलड़ा फिलहाल हल्का पड़ता लग रहा है । अभिनव सिंह के शुभचिंतकों का ही कहना है कि अभिनव सिंह ने उम्मीदवार के रूप में अपनी सक्रियता नहीं दिखाई और पिताजी के भरोसे ही रहे, तो उनके लिए राजीव बब्बर के मुकाबले टिक पाना मुश्किल होगा । इसके आलावा, वंदना निगम पर निर्भरता के चलते - अभिनव सिंह के सामने वंदना निगम के विरोधियों की नाराजगी झेलने का भी खतरा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने कार्य-व्यवहार से वंदना निगम ने डिस्ट्रिक्ट में अपने विरोधियों की संख्या में काफी इजाफा ही किया है; जिनकी नाराजगी का ठीकरा अभिनव सिंह के सिर पर ही फूटने का खतरा है । अभिनव सिंह की उम्मीदवारी के पक्ष में लेकिन एक स्थिति बहुत अनुकूल है, और वह यह कि तीनों पदों के लिए झाँसी के उम्मीदवारों ने ताल ठोकी हुई है, जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट में झाँसी के उम्मीदवारों के खिलाफ भावनात्मक प्रतिक्रिया है और लोगों का कहना है कि तीनों प्रमुख पद झाँसी वालों को ही चाहिए क्या ? यह आरोपपूर्ण सवाल इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अगले लायन वर्ष में बलविंदर सिंह सैनी अपने गवर्नर-वर्ष में संजय सिंह को उम्मीदवार बनाने की तैयारी करते सुने जा रहे हैं । ऐसे में, अभिनव सिंह की उम्मीदवारी के साथ हमदर्दी रखने वाले उनके शुभचिंतकों का मानना/कहना है कि झाँसी से तीनों पदों के उम्मीदवार होने के कारण झाँसी के उम्मीदवारों के प्रति कानपुर तथा अन्य शहरों के लोगों के बीच विरोध व नाराजगी का जो भाव है, उसका फायदा उठाने के लिए अभिनव सिंह को अपनी उम्मीदवारी के अभियान को गंभीरता से लेने की जरूरत है ।