Sunday, February 3, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वीके हंस की मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने की कोशिशों को चंदर शेखर मेहता को मल्टीपल ट्रेजरर बनवाने की मुहिम के जरिये राजीव अग्रवाल और जेपी सिंह ने फेल किया

नई दिल्ली । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चंदर शेखर मेहता और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजीव अग्रवाल की मिलीजुली कोशिशों से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वीके हंस को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए अपनी उम्मीदवारी खतरे में पड़ती दिख रही है, और वीके हंस इसके लिए इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें जमकर कोस रहे हैं । वीके हंस इसलिए और भड़के हुए हैं, क्योंकि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चक्कर में उन्होंने हाल ही में हरिद्वार में संपन्न हुई मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में एयर प्यूरीफायर गिफ्ट के रूप में बाँट दिए; उनका रोना है कि जेपी सिंह और राजीव अग्रवाल ने उनसे गिफ्ट तो बँटवा दिए हैं, लेकिन पर्दे के पीछे वह खेल कुछ और खेल रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में वीके हंस को दो झटके एक साथ लगे - पहले तो वह यह सुन/देख का चकराए कि चंदर शेखर मेहता मीटिंग में पहुँचे हैं और मल्टीपल ट्रेजरर बनने के जुगाड़ में हैं; दूसरा झटका उन्हें राजीव अग्रवाल को अपने से दूर 'दिखने' की कोशिश करते देख लगा । राजीव अग्रवाल के प्रति तो वीके हंस ने कई लोगों के सामने चिल्ला कर अपनी नाराजगी भी प्रकट की । पूरे घटनाचक्र को मिला कर वीके हंस ने देखा, तो समझा/पाया कि इसके पीछे जेपी सिंह की शह है;और जेपी सिंह ने राजीव अग्रवाल को अगले लायन वर्ष में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवाने का ऑफर देकर वीके हंस को इस वर्ष मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की दौड़ से हटाने का प्रबंध कर लिया है ।
चंदर शेखर मेहता को मल्टीपल ट्रेजरर बनवाने की मुहिम के पीछे जेपी सिंह और राजीव अग्रवाल की सोची-समझी योजना को देखा/पहचाना जा रहा है । माना/कहा जा रहा है कि इसके जरिये अगले लायन वर्ष में राजीव अग्रवाल की मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की उम्मीदवारी के लिए हरदीप सरकारिया का वोट/समर्थन पक्का कर लिया गया है । हरदीप सरकारिया को चंदर शेखर मेहता के नजदीकी के रूप में देखा/पहचाना जाता है; ऐसे में यह उम्मीद करना स्वाभाविक भी है कि मल्टीपल ट्रेजरर बनने के ऐवज में चंदर शेखर मेहता अगले लायन वर्ष में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए हरदीप सरकारिया का वोट/समर्थन बिना किसी हील-हुज्जत के राजीव अग्रवाल को दिलवा ही देंगे । पर्दे के पीछे चले इस खेल को लेकर वीके हंस को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केएल खट्टर के व्यवहार से भी शिकायत और नाराजगी है । केएल खट्टर को वीके हंस अपने बड़े समर्थक और शुभचिंतक के रूप में देखते/समझते हैं; लेकिन अब वीके हंस को लगता है कि केएल खट्टर ने उनके साथ धोखा किया है । उल्लेखनीय है कि चंदर शेखर मेहता हरिद्वार में संपन्न हुई मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में केएल खट्टर के साथ ही पहुँचे थे । इससे वीके हंस मान/समझ रहे हैं कि चंदर शेखर मेहता को मल्टीपल ट्रेजरर बनवाने की मुहिम की जानकारी केएल खट्टर को भी थी, जिसे केएल खट्टर ने उनसे छिपाया - और इस तरह उन्हें धोखा दिया । दरअसल चंदर शेखर मेहता के मल्टीपल ट्रेजरर बनने से वीके हंस का मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने का मामला अपने आप खत्म हो जाता है, क्योंकि एक ही डिस्ट्रिक्ट को मल्टीपल में दो पद तो नहीं ही मिल सकेंगे ।
चंदर शेखर मेहता को मल्टीपल ट्रेजरर बनवाने की मुहिम के जरिये वीके हंस को रास्ते से हटाने के खेल के प्रति आश्वस्त होने के कारण ही राजीव अग्रवाल ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए अभियान चला रहे वीके हंस से दूरी बनाने/दिखाने की कोशिश की । उल्लेखनीय है कि वीके हंस ने अपनी उम्मीदवारी के लिए माहौल बनाने के उद्देश्य से मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में एयर प्यूरीफायर गिफ्ट में देने की तैयारी की थी । इस तैयारी में वह चाहते थे कि गिफ्ट देने/बाँटने के काम में राजीव अग्रवाल उनके साथ रहें/दिखें, ताकि वह राजीव अग्रवाल के समर्थन के प्रति दूसरे लोगों को आश्वस्त कर सकें । वीके हंस ने राजीव अग्रवाल से साथ रहने के लिए बात भी कर ली, और राजीव अग्रवाल ने इसके लिए हामी भी भर दी; लेकिन वीके हंस जब गिफ्ट देने/बाँटने के काम पर निकले, तब राजीव अग्रवाल दाएँ/बाएँ हो गए । वीके हंस को राजीव अग्रवाल का यह रवैया नागवार लगा और उन्होंने कई लोगों के सामने ही राजीव अग्रवाल को जोर से चिल्ला कर हड़काया । वीके हंस का यह व्यवहार राजीव अग्रवाल को बुरा लगा और फिर वीके हंस को अकेले ही गिफ्ट देने/बाँटने का काम करना पड़ा । इस स्थिति के लिए लोगों ने वीके हंस को ही जिम्मेदार ठहराया; उनका कहना है कि वीके हंस को राजीव अग्रवाल के साथ बदतमीजी नहीं करना चाहिए थी । वीके हंस का कहना है कि राजीव अग्रवाल को यदि उनके साथ नहीं आना था, तो साफ मना कर देना चाहिए था । बाद में जब पर्दे के पीछे चले खेल की पूरी जानकारी वीके हंस को मिली, तो वह और नाराज हुए । उनका कहना है कि जेपी सिंह और राजीव अग्रवाल को उनके साथ यही धोखा करना था तब फिर उन्होंने मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में उनसे गिफ्ट बँटवा कर उनके पैसे क्यों खराब करवाए ? मल्टीपल काउंसिल में वीके हंस के साथ जो हुआ, उसे 'देख' कर वीके हंस अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और इस 'ठगी' के लिए जेपी सिंह और राजीव अग्रवाल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं ।