पानीपत । जितेंद्र बंगा ने पानीपत ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी की सदस्यता के लिए होने वाले चुनाव में बने न रहने की घोषणा करके मितेश मल्होत्रा की उम्मीदवारी को बड़ी राहत दी है । उल्लेखनीय है कि 'रचनात्मक संकल्प' की 7 फरवरी की रिपोर्ट में बताया गया था कि मितेश मल्होत्रा के पक्के वाले साथियों/समर्थकों के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले जितेंद्र बंगा के खुद उम्मीदवार बन जाने से मितेश मल्होत्रा को दोहरा नुकसान होने का खतरा पैदा हो गया है; और आशंका यह पैदा हो गई है कि जितेंद्र बंगा खुद तो डूबेंगे ही - मितेश मल्होत्रा को भी ले डूबेंगे । इस खतरे को भाँप कर ही मितेश मल्होत्रा ने जमीन/आसमान एक करके जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी को वापस करवा लेने में तो सफलता प्राप्त कर ली है, लेकिन लगता नहीं है कि मुसीबतों ने उनका पीछा छोड़ दिया है । पानीपत ब्रांच के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने अन्य उम्मीदवारों पर अभी से यह दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि मितेश मल्होत्रा ब्रांच की सदस्यता का चुनाव यदि जीत भी जाते हैं, तो भी उन्हें सत्ता खेमे में शामिल नहीं करना है और उन्हें अलग-थलग ही रखना है । मजे की बात यह है कि पानीपत ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव अभी चार-पाँच दिन दूर हैं, लेकिन अभी से पानीपत में लोगों की जुबान पर चर्चा आम है कि ब्रांच तो सात सदस्य नहीं, बल्कि छह सदस्य ही चलायेंगे ।
पानीपत ब्रांच की सदस्यता के लिए चुनाव लड़ने और जीतने की संभावना रखने वाले उम्मीदवारों और उनके नजदीकियों ने अभी से यह घोषणा कर दी है कि वह मितेश मल्होत्रा को तो अपने साथ नहीं रखेंगे । दरअसल ट्रेजरर के रूप में मौजूदा वर्ष में मितेश मल्होत्रा की ऐसी ऐसी हरकतें रही हैं कि पानीपत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच उन्हें भारी बदनामी तो मिली ही है - साथ ही ब्रांच के हर संभावित पदाधिकारी को यह आभास भी हो गया है कि मितेश मल्होत्रा यदि किसी भी रूप में उनके साथ रहे, तो उनके लिए काम करना तो मुश्किल हो ही जायेगा - उनकी जान पर भी बन आएगी । ब्रांच के मौजूदा चेयरमैन अतुल चोपड़ा को ट्रेजरर के रूप में मितेश मल्होत्रा ने जिस तरह से तंग किया और तरह तरह से उन्हें 'ब्लैकमेल' करने की कोशिश की, उसके चलते ब्रांच में कामकाज तो बुरी तरह प्रभावित हुआ ही और ब्रांच में ताला पड़ने की नौबत आ गई - अतुल मल्होत्रा के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ा और उनकी तबियत काफी खराब हुई । अतुल चोपड़ा पानीपत के वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउटेंट हैं, और पिछले वर्षों में वह दो/तीन बार दूसरों दूसरों के लिए अपने हाथ में आए चेयरमैन पद को कुर्बान कर चुके हैं; बड़ी मुश्किल से इस वर्ष उनके चेयरमैन बनने का मौका आया, तो मितेश मल्होत्रा ने अपनी लूट-खसोटपूर्ण मनमानियों से उनका जीना ही हराम कर दिया ।
मितेश मल्होत्रा की बदनामी को इसलिए भी पंख मिले और उसका विस्तार हुआ, क्योंकि उन पर ट्रेजरर के रूप में बेंडर्स के बिल पास करने के ऐवज में पैसे ऐंठने के आरोप लगे हैं । ब्रांच के कामकाज और फंक्शन में होने वाले प्रत्येक छोटे/बड़े खर्चे में अपना कमीशन 'बसूलने' की मितेश मल्होत्रा की कोशिशों ने पानीपत ब्रांच के हर संभावित पदाधिकारी को डराया हुआ है - और इसीलिए हर कोई मितेश मल्होत्रा से दूर रहने तथा उन्हें दूर रखने की बातें कर रहा है । इस तरह की बातों ने मितेश मल्होत्रा के लिए चुनौती और मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जो जितेंद्र बंगा के चुनावी मुकाबले से बाहर होने की घोषणा के बाद भी कम होती हुई नहीं दिख रही हैं । मितेश मल्होत्रा के नजदीकियों को लग रहा है कि पानीपत ब्रांच के सदस्यों के बीच उनकी जैसी जो बदनामी है, और जिसके चलते हर संभावित विजेता उन्हें दूर रखने तथा उनसे दूर रहने की घोषणा कर रहा है - वह लोगों के बीच बहुत ही अपमानजनक स्थिति है; और ऐसी स्थिति में मितेश मल्होत्रा को अपने किए-धरे के लिए सार्वजनिक रूप से माफी माँगनी चाहिए । मितेश मल्होत्रा को लेकर होने वाली इस तरह की चर्चाओं ने पानीपत ब्रांच के चुनाव को खासा दिलचस्प बना दिया है ।