लखनऊ । जगदीश अग्रवाल की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में वोट पाने के लिए लखनऊ के अवध जिमखाना क्लब के प्रेसीडेंट सुरेश अग्रवाल की मदद लेने की कोशिश ने गुरनाम सिंह के लिए खासी फजीहत वाली स्थिति बना दी है । उल्लेखनीय है कि अवध जिमखाना क्लब के पिछले दिनों हुए चुनाव में गुरनाम सिंह को सुरेश अग्रवाल से खासी तगड़ी वाली हार मिली थी । इस पृष्ठभूमि में, सुरेश अग्रवाल के गुरनाम सिंह के डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी लेने की कोशिश को गुरनाम सिंह के लिए बड़ी फजीहत वाली बात बना दी है । मजे की बात यह है कि सुरेश अग्रवाल अवध जिमखाना क्लब के प्रेसीडेंट होने के साथ-साथ रोटरी के एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर भी हैं । ऐसे में यह भी एक दिलचस्प नजारा है कि रोटरी का एक पूर्व गवर्नर लायंस के एक पूर्व गवर्नर की फजीहत करने के लिए सक्रिय हो रहा है; और इस नजारे में तड़के वाली बात यह है कि यह सब गुरनाम सिंह के 'चेलों' की देखरेख में हो रहा है । जगदीश अग्रवाल को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाने की जिम्मेदारी जिन विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल ने ली हुई है, उन्हें गुरनाम सिंह के 'चेलों' के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । लगता है कि जगदीश अग्रवाल को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में जीत दिलवाने के लिए गुरनाम सिंह, विशाल सिन्हा और अनुपम बंसल से मिल रहे समर्थन पर भरोसा नहीं रह गया है, और इसलिए अपनी उम्मीदवारी के लिए वह सुरेश अग्रवाल के रूप में बाहर से मदद जुटा रहे हैं - और उन सुरेश अग्रवाल के रूप में, जिनकी उपस्थिति गुरनाम सिंह के लिए फजीहत की स्थिति बनाती है ।
गुरनाम सिंह के नजदीकियों को इस मामले में जगदीश अग्रवाल से भी ज्यादा गुस्सा विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल पर आ रहा है; उनका मानना/कहना है कि इन दोनों ने जगदीश अग्रवाल को अपने समर्थन में सुरेश अग्रवाल जैसे बाहरी व्यक्ति को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में क्यों 'लाने' दिया है ? समझा जाता है कि विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति से गुरनाम सिंह को 'चुपचाप' तरीके से आउट करना चाहते हैं, और इसके लिए वह एक तरफ तो गुरनाम सिंह की भूमिका को सीमित कर दे रहे हैं, और दूसरी तरफ गुरनाम सिंह के बाहर के विरोधियों को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में भूमिका निभाने का मौका दे रहे हैं । इस संदर्भ में, डिस्ट्रिक्ट के लोग एक पुरानी घटना को भी कारण मान रहे हैं - जिसमें गुरनाम सिंह के बेटे और अनुपम बंसल के बीच मार-पिटाई हो गई थी, जिसे लेकिन गुरनाम सिंह ने दबाव डाल कर रफादफा करवा दिया था । इनके नजदीकियों को ही लगता है कि अनुपम बंसल उस समय तो अपमान का घूँट पीकर चुप रहने के लिए मजबूर हो गए थे, लेकिन अब उन्हें बदला लेने का मौका मिल रहा है और वह विशाल सिन्हा के साथ मिलकर गुरनाम सिंह को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अप्रासंगिक व गैरजरूरी बनाने की मुहिम में जुट गए हैं । जगदीश अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए सुरेश अग्रवाल की जो सेवाएँ ली हैं, उससे गुरनाम सिंह की फजीहत होने की बात को समझते हुए भी - विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल उस पर जिस तरह से आँखें बंद किए हुए हैं, उससे यही समझा जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गुरनाम सिंह की फजीहत को इन दोनों की भी अनुमति है ।
गुरनाम सिंह की फजीहत करते हुए सुरेश अग्रवाल की मदद लेने की जगदीश अग्रवाल की कार्रवाई को विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल की भले ही अनुमति हो - लेकिन उनके अपने खेमे के दूसरे लोगों को यह बात पसंद नहीं आ रही है । दरअसल गुरनाम सिंह उम्र और बीमारी के दबाव के चलते आज भले ही ज्यादा सक्रिय न रह गए हों, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में उनके समर्थकों व शुभचिंतकों की कोई कमी नहीं है । उनके समर्थकों व शुभचिंतकों को यह बात पसंद नहीं आ रही है कि गुरनाम सिंह की राजनीतिक विरासत पर कब्जा करने में लगे विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल - गुरनाम सिंह के जीते जी उन्हें 'राजनीतिक' रूप से 'मार' देने की कोशिश कर रहे हैं, और जगदीश अग्रवाल इसके लिए 'मौका' बना रहे हैं । जगदीश अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में वोट जुटाने के लिए सुरेश अग्रवाल जैसे बाहरी और गुरनाम सिंह विरोधी व्यक्ति की मदद लेने का जो काम किया है, उससे उनके अपने समर्थकों के बीच यह सवाल पैदा हो रहा है कि जगदीश अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट के अपने समर्थकों पर यह भरोसा नहीं रह गया है कि वह उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव जितवा देंगे ? इस तरह की बातों और चर्चाओं से लगता है कि डिस्ट्रिक्ट के अपने समर्थक नेताओं पर भरोसा करने की बजाये सुरेश अग्रवाल जैसे बाहरी व्यक्ति से चुनावी मदद लेने का काम करके जगदीश अग्रवाल ने अपने आपको बड़ी मुसीबत में फँसा लिया है । जगदीश अग्रवाल के नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में सुरेश अग्रवाल की मदद से जगदीश अग्रवाल का फायदा होना तो दूर, बड़ा नुकसान पहुँचने का खतरा और पैदा हो गया है ।