Monday, February 25, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में एमपी गुप्ता की फील्डिंग के सामने राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी में बनाये रखने के मामले में अपने आप को बेबस पाया और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में बिजनेस सेशन शुरू होने से ठीक पहले हेमंत अरोड़ा का इस्तीफा ले लिया

चंडीगढ़ । रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के पूर्व प्रेसीडेंट और डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के पूर्व सदस्य एमपी गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट अकाउंट्स में फर्जीवाड़ा करने के आरोपों से घिरे हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाये जाने के खिलाफ जो अभियान शुरू किया था, अंततः वह रंग लाया - और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के दौरान हेमंत अरोड़ा डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिए मजबूर हुए । राजा साबू  और उनके साथियों के भरपूर समर्थन के बावजूद हेमंत अरोड़ा कुल चार-पाँच महीने ही डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी के सदस्य बने रह सके । मजे की बात यह रही कि हेमंत अरोड़ा को जिस गुपचुप तरीके से डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाया गया था, उसी गुपचुप तरीके से कमेटी से उनकी विदाई भी हुई । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के बिजनेस सेशन में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अरुण शर्मा ने हेमंत अरोड़ा के मामले से जुड़े एमपी गुप्ता के क्लब के प्रस्ताव के वापस होने की जानकारी तो लोगों को दी, लेकिन हेमंत अरोड़ा के इस्तीफे की बात को वह 'पी' गए - सच्चाई जबकि यही है कि हेमंत अरोड़ा के इस्तीफा दे देने के बाद एमपी गुप्ता के क्लब के प्रस्ताव की कोई प्रासंगिकता ही नहीं रह गई थी, और इसीलिए उसे वापस ले लिया गया था । जानकारियों को डिस्ट्रिक्ट के लोगों से छिपा कर रखने की राजा साबू गिरोह के सदस्यों की प्रवृत्ति का प्रदर्शन करते हुए अरुण शर्मा ने एक बार फिर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लेकिन आधी-अधूरी बात ही बताई । उल्लेखनीय है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स तमाम महत्त्वपूर्ण बातें - खासकर डिस्ट्रिक्ट के तमाम प्रोजेक्ट्स व ट्रस्ट के हिसाब-किताब से जुड़ी बातें डिस्ट्रिक्ट के लोगों से - यहाँ तक कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स तक से - छिपा कर रखते हैं, जिसे लेकर निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी को रोटरी इंटरनेशनल तक में शिकायत करने के लिए मजबूर होना पड़ा था; और जिसके चलते प्रोजेक्ट्स से जुड़े पैसों के मामले में राजा साबू और उनसे जुड़े पूर्व गवर्नर्स की भूमिका को संदेह से देखा जाता है । 
दरअसल इसी कारण से हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाए जाने से मामला भड़का हुआ था, और हेमंत अरोड़ा को फाइनेंस कमेटी से हटाने की माँग की जा रही थी । एमपी गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल को पत्र लिख कर हेमंत अरोड़ा के वर्ष 2014-15 के कार्य-व्यवहार का उदाहरण देते हुए उन्हें डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी का सदस्य बनाए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज करवायी थी और हेमंत अरोड़ा के उस कृत्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें तुरंत प्रभाव से डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी से हटाए जाने की माँग की थी । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स इस तरह की माँग पर ध्यान नहीं देते हैं, लिहाजा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल ने भी उक्त माँग पर ध्यान नहीं दिया । तब एमपी गुप्ता के क्लब - रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल ने हेमंत अरोड़ा से जुड़े इस मामले को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में उठाने को लेकर एक प्रस्ताव भेजा । राजा साबू की शह पर लेकिन प्रवीन गोयल ने उक्त प्रस्ताव को निष्प्रभावी करने की चाल चली । नियमों केअनुसार, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल को इस प्रस्ताव से डिस्ट्रिक्ट के सभी क्लब्स को अवगत कराना चाहिए था, ताकि प्रस्ताव में उठाये मुद्दे पर डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में विचार-विमर्श हो सके और वोटिंग के जरिये प्रस्ताव में की गई माँग पर लोगों की राय ली जा सके । प्रवीन गोयल ने यह खुद तो नहीं ही किया, रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के पदाधकारियों तथा एमपी गुप्ता को भी ऐसा करने से रोका । प्रवीन गोयल की कोशिश थी कि हेमंत अरोड़ा से जुड़े मुद्दे/प्रस्ताव को वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों के सामने आने ही न दें - और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की आपाधापी में उक्त प्रस्ताव को रफादफा करवा दें । प्रवीन गोयल के रवैये से उनके इरादे को भाँप कर एमपी गुप्ता ने भी ऐसी फील्डिंग लगाई कि प्रवीन गोयल और राजा साबू तथा उनके संगी-साथियों को समझ में आ गया कि उन्होंने ज्यादा होशियारी दिखाई तो सिवाये फजीहत के उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा । 
एमपी गुप्ता की फील्डिंग के सामने राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी में बनाये रखने के मामले में अपने आप को बेबस पाया और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में बिजनेस सेशन शुरू होने से ठीक पहले डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी से हेमंत अरोड़ा का इस्तीफा ले लिया । दरअसल राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को डर हुआ कि बिजनेस सेशन में मामला आयेगा, तो पता नहीं क्या क्या सुनने को मिलेगा और क्या क्या पोल खुलेगी - इसलिए हेमंत अरोड़ा से छुटकारा पा लेने में ही भलाई है । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के लिए फजीहत की बात सिर्फ यही नहीं रही कि उन्हें हेमंत अरोड़ा से इस्तीफा लेना पड़ा - बल्कि यह भी रही कि उन्हें हेमंत अरोड़ा के नजदीकियों तथा उनसे हमदर्दी रखने वाले लोगों के कोप का भी निशाना बनना पड़ा । हेमंत अरोड़ा के नजदीकियों का कहना है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने जिस तरह हेमंत अरोड़ा को बेइज्जत करवाया है - उससे राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स का लोगों के प्रति 'यूज एंड थ्रो' वाला रवैया एक बार फिर प्रकट हुआ है । हेमंत अरोड़ा के नजदीकियों का कहना है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने पहले तो अपनी बेईमानियों पर पर्दा डाले रखने के लिए हेमंत अरोड़ा को डिस्ट्रिक्ट फाइनेंस कमेटी में सदस्य बना लिया, लेकिन जब बबाल हुआ तो उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह बाहर निकाल फेंका । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने यही तरीका क्रमशः डीसी बंसल और कपिल गुप्ता के साथ भी अपनाया था - उन्हें जब तक लगा कि डीसी बंसल और कपिल गुप्ता के सहारे/भरोसे वह अपनी राजनीति चला सकते हैं, उन्होंने इन्हें अपने साथ रखा; लेकिन जैसे ही उन्हें लगा कि यह उनके काम के नहीं रह गए हैं इन्हें दूर छिटक दिया । हेमंत अरोड़ा के साथ भी यही हुआ । वर्ष 2014-15 के कार्य-व्यवहार को लेकर हेमंत अरोड़ा की जो बदनामी है, वह सब भी राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की देन है; लेकिन उसी देन के कारण हेमंत अरोड़ा फजीहत में फँसे - तो राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स ने उन्हें अकेला छोड़ दिया ।