Tuesday, February 5, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में विनय भाटिया और विनोद बंसल को खरीखोटी सुना लेने के बाद, डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के एक सेशन में मंच पर बैठने/बैठाने का लीपापोती भरा ऑफर स्वीकार करके रवि गुगनानी ने लोगों की सहानुभूति पाने/जुटाने का मौका गवाँ कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समस्या और बढ़ा ली है क्या ?

नई दिल्ली । रविंदर उर्फ रवि गुगनानी ने ऊँगली टेढ़ी करके डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के एक सेशन में मंच पर दिखने/बैठने का अधिकार तो पा लिया, लेकिन इस सारे झमेले ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी की उनकी राह में काँटे बोने का काम भी कर दिया है । हालाँकि उनके कुछेक नजदीकियों का मानना/कहना यह भी है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में जो झमेला हुआ, उसने उनके काँटों को 'दिखाने' का काम ही किया है; और अच्छी बात यह हुई कि यह काम जल्दी हो गया - और रवि गुगनानी ज्यादा समय अँधेरे में रहने से बच गए हैं । जो हुआ, उसमें एक बात और साफ हुई कि प्रतिकूल स्थितियों को पहचानने तथा मौके पर उनसे निपटने की कला रवि गुगनानी को आती है, और अपनी इस कला का इस्तेमाल करके वह स्थितियों को अपने अनुकूल बना सकते हैं । रवि गुगनानी ने जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल द्वारा उनके साथ की गई चालबाजी पर नाराजगी और विरोध जताया, और उन्हें अपनी चालबाजी छोड़ने के लिए मजबूर किया - उसके जरिये रवि गुगनानी ने अपनी दमदारी तो दिखाई; लेकिन जिस तरीके से वह विनय भाटिया और विनोद बंसल के मनाने पर मान गए और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के एक सेशन में मंच पर भी बैठ गए, उससे उनका असमंजसपना भी सामने आया है; और कई लोगों को लगता है कि उनका यह असमंजसपना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उन्हें नुकसान पहुँचायेगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के खेमेबाज समीकरणों को जानने/पहचानने वाले लोगों का मानना/कहना है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के एक सेशन में मंच पर बैठ कर रवि गुगनानी ने एक बार फिर उन्हीं लोगों के साथ जुड़ने की 'सहमति' दिखाई है, जिन्होंने उन्हें अपने स्वार्थ में इस्तेमाल किया और धोखा दिया - और जिनसे निपटने के लिए उन्हें अपनी ऊँगली टेढ़ी करना पड़ी ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में होने वाले कार्यक्रम का पूर्ण विवरण में यह देख कर रवि गुगनानी बुरी तरह तमतमा उठे थे कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कन्वेनर होने के बावजूद पूरे दो दिन के कार्यक्रम में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है । रवि गुगनानी ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस का कन्वेनर बनना और कॉन्फ्रेंस की तैयारी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने का काम यह सोच कर किया था कि इसके जरिये वह अगले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी संभावित उम्मीदवारी के लिए अपनी पहचान बनाने का मौका पा सकेंगे । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के प्रमोशन के लिए उन्होंने रोहतक में एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के लिए उन्होंने जो कुछ भी किया, उसमें स्वाभाविक रूप से उनका समय, उनकी एनर्जी और उनका मोटा पैसा खर्च हुआ - और यह सब उन्होंने इसलिए किया, ताकि अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करने का मौका उन्हें मिले । विनय भाटिया और विनोद बंसल ने उन्हें इसके लिए आश्वस्त भी किया था । लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के दो दिवसीय कार्यक्रम में रवि गुगनानी को जब अपनी कोई भूमिका नहीं दिखी, तो वह समझ गए कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं । यह समझने के बाद विनय भाटिया और विनोद बंसल को खरीखोटी सुनाते हुए रवि गुगनानी ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के बहिष्कार की घोषणा कर दी । रवि गुगनानी के साथ हुई 'ठगी' के विरोध में रोहतक के अन्य रोटेरियंस ने भी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के बहिष्कार की घोषणा की । विनय भाटिया और विनोद बंसल ने रवि गुगनानी को 'बातों से' मनाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन जब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से पिछली रात हुए 'बेनवॉलेंस नाइट' कार्यक्रम में रवि गुगनानी और रोहतक के अन्य लोग सचमुच नहीं पहुँचे - तो विनय भाटिया और विनोद बंसल को समझ में आ गया कि सिर्फ 'बातों से' रवि गुगनानी मानने वाले नहीं हैं; तब उनकी तरफ से रवि गुगनानी को ऑफर दिया गया कि कॉन्फ्रेंस के कार्यक्रम में परिवर्तन करके एक सेशन में उन्हें मंच पर बैठने का मौका दिया जायेगा । इस ऑफर से रवि गुगनानी का गुस्सा कुछ शांत हुआ और वह कॉन्फ्रेंस में शामिल होने  के लिए राजी हुए । 
रवि गुगनानी के डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल होने तथा एक सेशन में मंच पर बैठने के बाद 'अंत भला तो सब भला' की तर्ज पर मामले को खत्म हुआ मान लिया गया था । किंतु डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हो जाने के बाद उसके साइड इफेक्ट्स और ऑफ्टर इफेक्ट्स को लेकर होने वाली चर्चाओं में रवि गुगनानी के मंच पर बैठने के फैसले को उनकी कमजोरी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों का कहना है कि रवि गुगनानी ने जब विनय भाटिया और विनोद बंसल को खरीखोटी सुना ली थी, तो फिर एक सेशन में मंच पर बैठने/बैठाने का लीपापोती भरा उनका ऑफर रवि गुगनानी को स्वीकार नहीं करना चाहिए था । लोगों का मानना और कहना है कि रवि गुगनानी के साथ जो ठगी हुई, उसे 'देख' कर रवि गुगनानी को यह तो समझ ही लेना चाहिए था कि विनय भाटिया और विनोद बंसल उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में ईमानदारी के साथ उनका समर्थन नहीं करेंगे । यह समझ लेने के बाद उन्हें वैकल्पिक उपायों के बारे में सोचना चाहिए था; और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल होकर अपने साथ हुई 'ठगी' पर लोगों की सहानुभूति जुटाना चाहिए थी । लेकिन एक सेशन में मंच पर बैठ कर रवि गुगनानी ने लोगों की सहानुभूति पाने/जुटाने का मौका गवाँ दिया । डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगता है कि इस तरह से रवि गुगनानी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समस्या और चुनौती खड़ी कर ली है । 
इस स्थिति ने अजीत जालान को बड़ी राहत दी है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कार्यक्रम में विनय भाटिया और विनोद बंसल ने अजीत जालान को अच्छी-खासी जो तवज्जो दी, उसे देखते हुए अजीत जालान को विनोद बंसल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की तैयारी के दौरान रवि गुगनानी को तवज्जो मिलती देख अजीत जालान को चिंता हुई थी, लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कार्यक्रम में जब रवि गुगनानी का पत्ता साफ देखा गया तो अजीत जालान ने राहत की साँस ली । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कार्यक्रम में अपने आपको 'ठगी' का शिकार पाने के बाद पहले तो विनय भाटिया और विनोद बंसल को खरीखोटी सुना कर और फिर उनसे जा मिल कर रवि गुगनानी ने अपनी स्थिति जिस तरह से खराब कर ली है, उसने अजीत जालान के लिए रास्ता साफ करने का अवसर बनाया है । अशोक कंतूर को रवि चौधरी की बदनामी के कारण अपनी उम्मीदवारी आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिल रहा है; और महेश त्रिखा जिस तेजी के साथ आगे बढ़ते नजर आ रहे थे, उसने दुगनी तेजी के साथ गुम होते नजर आ रहे हैं । ऐसे में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारों की स्थिति और चुनावी सीन कुछ धुंधला-सा पड़ता नजर आ रहा है । आने वाले दिनों में धुंध कुछ छँटे और उम्मीदवारों की दशा-दिशा स्पष्ट हो - तो चुनावी माहौल के पटरी पर लौटने की उम्मीद की जाए ।