Thursday, February 7, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की पानीपत ब्रांच के कामकाज और फंक्शन में होने वाले प्रत्येक छोटे/बड़े खर्चे में अपना हिस्सा 'बसूलने' की तिकड़मों से मितेश मल्होत्रा को मिली बदनामी को देखते हुए उनके समर्थक वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने राकेश अरोड़ा तथा जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी को आगे बढ़ा कर मितेश मल्होत्रा की उम्मीदवारी को दोहरी चोट पहुँचाई

पानीपत । इंस्टीट्यूट की पानीपत ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी की सदस्यता के लिए राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी ने मितेश मल्होत्रा के पुनर्निर्वाचित होने के प्रयास को खासा तगड़ा झटका दिया है । ब्रांच के ट्रेजरर के रूप में अपनी हरकतों के लिए मितेश मल्होत्रा पानीपत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पहले से ही बदनाम हैं, जिसके चलते इस बार का चुनाव उनके लिए वैसे ही चुनौतीपूर्ण था - जिस पर राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है । दरअसल इन दोनों को मितेश मल्होत्रा के पक्के वाले साथियों/समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता है; पिछले चुनाव में इन्होंने मितेश मल्होत्रा की उम्मीदवारी के समर्थन में जमकर काम किया था । इस बार के चुनाव में इनके खुद उम्मीदवार बन जाने से मितेश मल्होत्रा को दोहरा नुकसान होने का खतरा पैदा हो गया है - इनके उम्मीदवार बन जाने से मितेश मल्होत्रा को एक तरफ तो अपनी उम्मीदवारी के लिए कार्यकर्ताओं का टोटा पड़ गया है, दूसरी तरफ इन दोनों को मिलने वाले वोट सीधे सीधे मितेश मल्होत्रा के वोटों में ही कमी करेंगे । मितेश मल्होत्रा, राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा पानीपत की ब्रांच की चुनावी राजनीति में न सिर्फ साथी/दोस्त/सहयोगी/समर्थक रहे हैं, बल्कि इनका समर्थन आधार और खेमा भी एक ही है । इनके दूसरे साथियों का मानना और कहना है कि तीनों के उम्मीदवार बन जाने से खतरा यह पैदा हो गया है कि कहीं तीनों ही चुनाव न हार जाएँ ?
उल्लेखनीय है कि पानीपत ब्रांच की सात सीटों के लिए नाम वापसी के बाद 10 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं । इनमें मौजूदा वाइस चेयरमैन आदित्य नंदवानी, मनप्रीत सिंह गंभीर, सुरेश नंदवानी और योगेश गोयल की जीत को सुनिश्चित माना/बताया जा रहा है । भूपिंदर शर्मा और मुकेश गुप्ता को भी अच्छा समर्थन मिलता दिख रहा है और उन्हें मुकाबले में माना/पहचाना जा रहा है । नोएडा में काम करने और रहने के कारण संगीता प्रजापति के लिए पानीपत में वोट जुटाना मुश्किल तो माना जा रहा है, लेकिन पानीपत ब्रांच में कार्यरत ममता प्रजापति के सहयोग के कारण उनकी जीत की संभावना को अच्छा माना जा रहा है । मौजूदा ट्रेजरर के रूप में तमाम बदनामी के बावजूद मितेश मल्होत्रा के लिए चुनाव जीतना आसान ही होता, लेकिन राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी उनकी जीत में रोड़ा बनती दिख रही है । दरअसल राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी के चलते मितेश मल्होत्रा की उम्मीदवारी को जो ग्रहण लगा है, उसमें भूपिंदर शर्मा, मुकेश गुप्ता और संगीता प्रजापति की उम्मीदवारी के लिए सफलता की राह खुलती नजर आ रही है ।
मितेश मल्होत्रा के नजदीकियों का कहना/बताना है कि मितेश मल्होत्रा ने राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा का नामांकन वापस करवाने के लिए इन दोनों पर काफी दबाव भी बनाया था । इसके लिए अपने समर्थक पानीपत के वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से उन्होंने इन दोनों पर दबाव भी डलवाया था । नजदीकियों के अनुसार, राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा अपना अपना नामांकन वापस लेने के लिए राजी भी हो गए थे, लेकिन फिर अचानक से पता नहीं क्या हुआ - उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया । इन तीनों के नजदीकियों का कहना है कि खेमे के वरिष्ठ सदस्यों को दरअसल मितेश मल्होत्रा की जीत के प्रति संदेह है, इसलिए उन्होंने राकेश अरोड़ा और जितेंद्र बंगा को उम्मीदवार बने रहने के लिए हरी झंडी दे दी और नाम वापस लेने के उनके 'प्रोग्राम' को कैंसिल करवा दिया । असल में, मौजूदा वर्ष में ट्रेजरर के रूप में मितेश मल्होत्रा ने ब्रांच में काम ही नहीं होने दिए; शुरू के कुछेक महीने तो ब्रांच की सीपीई कमेटी का मुखिया पद पाने के लिए वह चेयरमैन अतुल चोपड़ा को ब्लैकमेल करते रहे और इस कारण ब्रांच में ताला पड़ने की नौबत आ गई । ट्रेजरर के रूप में बेंडर्स के बिल पास करने के ऐवज में पैसे ऐंठने की कोशिशों के कारण बिल पास होने और चेक रिलीज होने का काम टलता रहा और इस वजह से ब्रांच के कामकाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ा । ब्रांच के कामकाज और फंक्शन में होने वाले प्रत्येक छोटे/बड़े खर्चे में अपना हिस्सा 'बसूलने' की मितेश मल्होत्रा की तिकड़मों ने ब्रांच में काम होने की स्थितियों को बुरी तरह से प्रभावित किया और इसके चलते पानीपत ब्रांच को इस वर्ष बहुत ही बुरे दिन देखने पड़े । पानीपत में इस स्थिति के लिए हर किसी ने मितेश मल्होत्रा को ही जिम्मेदार ठहराया और इस कारण पानीपत के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के  बीच मितेश मल्होत्रा की खासी बदनामी है । मितेश मल्होत्रा के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि उनके समर्थक वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ही इस बार उनकी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं; इसीलिए उन्होंने राकेश अरोड़ा तथा जितेंद्र बंगा की उम्मीदवारी को आगे बढ़ा दिया है । इससे मितेश मल्होत्रा के लिए अपनी सीट बचाना मुश्किल हो गया है ।