Tuesday, February 12, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह का सहयोग/समर्थन पाने के लिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार बीएम श्रीवास्तव द्वारा अपने खेमे के केएस लूथरा तथा अन्य नेताओं को तवज्जो न देने की रणनीति बीएम श्रीवास्तव के बने-बनाये 'काम' को बिगाड़ भी सकती है क्या ?

लखनऊ । बीएम श्रीवास्तव के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए 'अकेले' ही चुनाव अभियान चलाने के फैसले के चलते उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच पर्याप्त समर्थन मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है, और इस कारण उनके शुभचिंतकों के बीच ही उनकी उम्मीदवारी की सफलता को लेकर आशंकाएँ पैदा होने लगी हैं । उल्लेखनीय है कि कहने को तो बीएम श्रीवास्तव को केएस लूथरा खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है, लेकिन बीएम श्रीवास्तव के चुनाव अभियान में केएस लूथरा और या उनके खेमे के नेता लोग दिखाई नहीं देते हैं । बीएम श्रीवास्तव के नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि बीएम श्रीवास्तव को दरअसल नेताओं पर भरोसा नहीं है और इसीलिए वह संपर्क अभियान में नेताओं को अपने साथ नहीं रखते हैं और कभी अकेले तो कभी अपने क्लब के कुछेक सदस्यों के साथ ही निकलते हैं । बीएम श्रीवास्तव के कुछेक नजदीकियों को लगता है और उनका कहना भी है कि बीएम श्रीवास्तव ने केएस लूथरा तथा खेमे के दूसरे नेताओं के साथ जो दूरी बनाई और 'दिखाई' हुई है, उसके पीछे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह का हाथ है । खेमेबाजी के लिहाज से बीएम श्रीवास्तव भले ही केएस लूथरा खेमे के उम्मीदवार हों, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में उन्हें एके सिंह के उम्मीदवार के रूप में ज्यादा देखा/पहचाना जाता है । डिस्ट्रिक्ट में यह बात भी जगजाहिर है कि एके सिंह और केएस लूथरा 'साथ-साथ' नहीं हैं । बीएम श्रीवास्तव को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एके सिंह उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होंगे, इसलिए उन्होंने केएस लूथरा तथा खेमे के दूसरे नेताओं के साथ दूरी बना ली है - और उसे लोगों को (तथा एके सिंह को भी) 'दिखा' भी रहे हैं । 
बीएम श्रीवास्तव को लगता रहा है कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट में जो चुनावी परिदृश्य बना है, उसमें केएस लूथरा तथा उनके खेमे के दूसरे नेताओं के पास झक मार कर उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है - इसलिए उनके सामने केएस लूथरा तथा उनके खेमे के दूसरे नेताओं को तवज्जो देने की कोई मजबूरी नहीं है । उनका ऐसा सोचना/मानना सही भी ठहरा है; क्योंकि बीएम श्रीवास्तव की तरफ से उपेक्षा किए जाने के बाद भी केएस लूथरा और उनके खेमे के दूसरे नेता अपने आप को लगातार बीएम श्रीवास्तव की उम्मीदवारी के साथ ही बता/दिखा रहे हैं । बीएम श्रीवास्तव और केएस लूथरा (तथा उनके खेमे के दूसरे नेताओं) के बीच यह जो दूर/पास का खेल चल रहा है, यह अपने आप में परफेक्ट है तथा इसमें कोई समस्या नहीं है - समस्या की बात लेकिन लोगों के, क्लब्स के प्रमुख सदस्यों के बीच पैदा हुई है । बीएम श्रीवास्तव के संपर्क अभियान में लोग जब केएस लूथरा तथा खेमे के अन्य लोगों को नदारत पाते हैं, तो उनके नजदीकी बीएम श्रीवास्तव के साथ उतने सहज नहीं हो पाते हैं, जितनी सहजता की एक उम्मीदवार के रूप में बीएम श्रीवास्तव को जरूरत है - और यही बात बीएम श्रीवास्तव की उम्मीदवारी के समर्थन-आधार की जड़ों को खोखला करती महसूस हो रही है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एके सिंह प्रशासनिक तरीके से तो बीएम श्रीवास्तव की उम्मीदवारी के लिए मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन राजनीतिक तरीके से चुनावी मदद करने के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते उनकी कई सीमाएँ होंगी ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एके सिंह ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की तारीख और जगह बीएम श्रीवास्तव को पहले से बता कर होटल के कमरों तथा ट्रेन के टिकटों की बुकिंग के मामले में तो उनकी मदद कर दी है, लेकिन ट्रेन में जाने तथा होटल के कमरों में ठहरने के लिए लोगों को प्रेरित करने का काम कर पाना एके सिंह के लिए उतना आसान नहीं होगा । ऐसे में तो और भी नहीं, जबकि बीएम श्रीवास्तव को ऐसे दो-दो उम्मीदवारों से मुकाबला करना है, जिन्हें अनुभवी नेताओं का हर तरह का सक्रिय सहयोग प्राप्त है । एके सिंह के लिए यह काम कर पाना इसलिए भी चुनौतीपूर्ण व मुश्किल होगा, क्योंकि अभी तक खेमेबाजी के लिहाज से वह उन नेताओं के नजदीकी थे, जो पराग गर्ग और या जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी का झंडा उठाए हुए हैं । केएस लूथरा खेमे के साथ एके सिंह का काफी पुराना बैर रहा है, और पिछले वर्ष हुए चुनाव में एके सिंह ने केएस लूथरा खेमे के उम्मीदवार का विरोध किया था; इस पृष्ठभूमि में एके सिंह के लिए केएस लूथरा खेमे के लोगों के वोट बीएम श्रीवास्तव को दिलवा पाना आसान नहीं होगा । एके सिंह ने केएस लूथरा खेमे से उम्मीदवार बीएम श्रीवास्तव को तो 'छीन' कर अपने साथ कर लिया है, लेकिन खेमे के प्रतिबद्ध समर्थकों व वोटरों को बीएम श्रीवास्तव की उम्मीदवारी के पक्ष में छीन पाना उनके लिए आसान नहीं होगा । ऐसे में, खुद बीएम श्रीवास्तव के शुभचिंतकों को ही लगने लगा है कि केएस लूथरा और उनके खेमे के नेताओं को 'घर बैठाने' तथा किनारे करने की रणनीति बीएम श्रीवास्तव के बने-बनाये 'काम' को बिगाड़ भी सकती है ।