नई दिल्ली । रतन सिंह यादव द्वारा इंस्टीट्यूट के अवॉर्ड फंक्शन में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल तथा उसकी ब्रांचेज को अवॉर्ड न मिलने के लिए रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने की बातों को 'नौ सौ चूहे खा चुकी बिल्ली के हज पर जाने' की कार्रवाई के रूप में - तथा पहले ही वर्ष काउंसिल का चेयरमैन बनने की तिकड़म लगाने की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों का कहना/पूछना है कि रीजनल काउंसिल के (कुछ ही दिनों में भूतपूर्व हो जाने वाले) मौजूदा काउंसिल के पदाधिकारियों की बदतमीजियों का हमेशा ही साथ/समर्थन देते रहे रतन सिंह यादव अब किस मुँह से उन्हें कोसने का नाटक कर रहे हैं ? उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल का मौजूदा टर्म बहुत ही खराब रहा है; तीनों ही वर्ष मनमानियों और बदतमीजियों और लूट-खसोट का जोर रहा और नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ती रहीं - विभिन्न मौकों पर अलग अलग लोगों ने मनमानियों, बदतमीजियों और लूट-खसोट का विरोध भी किया; लेकिन रतन सिंह यादव ने हमेशा ही मनमानी, बदतमीजी और लूट-खसोट करने वाले पदाधिकारियों का साथ दिया । मौजूदा टर्म में मनमानी, बदतमीजी और लूट-खसोट करने वालों में अगुआ रहने वाले तथा सरगना बने राकेश मक्कड़ के साथ रतन सिंह यादव हमेशा ही खड़े नजर आए । सिर्फ इतना ही नहीं, रतन सिंह यादव अक्सर उन लोगों को निशाना बनाने में तत्पर रहते थे, जो लोग राकेश मक्कड़ तथा उनके साथियों की मनमानियों, बदतमीजियों और लूट-खसोट का विरोध करते थे ।
रतन सिंह यादव ने लेकिन अब रंग बदल कर मौजूदा पदाधिकारियों को तमाम गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया है । दरअसल नई काउंसिल के सदस्यों के बीच बने पॉवर ग्रुप में मौजूदा काउंसिल में रहे तीन सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे लगता है कि नई काउंसिल के सदस्यों के बीच (कुछ ही दिनों में भूतपूर्व होने जा रही) मौजूदा काउंसिल के पदाधिकारियों की हरकतों के प्रति गुस्सा है । लगता है कि इसे भाँप कर ही रतन सिंह यादव ने पैंतरा बदल लिया है और मौजूदा काउंसिल के पदाधिकारियों से अपनी दूरी दिखाने की कोशिश करने लगे हैं । अपने एक वन-टू-वन मैसेज में उन्होंने अच्छे प्रतिनिधि चुनने की गुहार लगाई है । अपने इस मैसेज में रतन सिंह यादव ने ज्ञान दिया है कि ऐसे प्रतिनिधि/पदाधिकारी चुने जाने चाहिए जो इस बात पर ध्यान न दें कि 'मुझे क्या मिले' बल्कि इस बात पर ध्यान दें कि 'काउंसिल को क्या मिले' ।.रीजनल काउंसिल के लिए चुने गए लोगों का ही कहना है कि यह ज्ञान देते हुए वह इस जुगाड़ में लगे हैं कि कैसे भी 'चेयरमैन का पद मुझे मिल जाए' और इसके लिए बड़ा ही मजेदार तर्क दे रहे हैं - उनका तर्क है कि नई रीजनल काउंसिल के सदस्यों में वह चूँकि सबसे 'बूढ़े' हैं, इसलिए उन्हें चेयरमैन बना देना चाहिए । दिलचस्प बात यह है कि चेयरमैन बनने की उनकी कोशिशों से परिचित उनके नजदीकियों और समर्थकों ने मान भी लिया है कि वही चेयरमैन बनेंगे और इसीलिए उन्होंने रतन सिंह यादव को 'चेयरमैन साब' कहना भी शुरू कर दिया है । इंस्टीट्यूट के अवॉर्ड फंक्शन में तथा कुछेक अन्य मौकों पर उनके नजदीकी और समर्थक उनके लिए 'चेयरमैन साब' का संबोधन करते हुए ही सुने/देखे गए हैं ।
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के नए टर्म के लिए चुने गए सदस्यों में हालाँकि अन्य कुछेक लोग भी चेयरमैन बनने को लेकर लालायित हैं, और वह अपने अपने तरीके से गोटियाँ सेट करने में लगे हैं - लेकिन रतन सिंह यादव इस मामले में जितने फूहड़ तरीके से जुटे हैं, और उनके नजदीकियों व समर्थकों ने जिस तरह का माहौल बनाया हुआ है - उसे देख कर लोगों को लग रहा है और उन्होंने कहना भी शुरू कर दिया है कि रतन सिंह यादव नई काउंसिल में राकेश मक्कड़ की कमी खलने नहीं देंगे ।